Choose Friends Wisely By Acharya Prashant: कॉलेज-यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स अपने-अपने ग्रुप बनाने में देरी नहीं करते. यहां तेजी से रिश्ते बनते भी हैं और बिगड़ते भी हैं. कुछ दोस्त आपके जीवन में पॉजिटिव बदलाव लाते हैं, तो कुछ आपकी कमजोरियों को बढ़ाते हैं. ऐसे में दोस्ती यारी करते वक्त आपको कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए. आईआईटी जैसे इंस्टीट्यूशन में जाकर भी कुछ बच्चे उस संस्थान का पूरा लाभ नहीं ले पाते और इसकी वजह कई बार गलत संगत होती है. लेखक, चिंतक और इंफ्लूएंसर आचार्य प्रशांत ने इस बारे में खास बातचीत की और बताया कि छात्रों को अपने दोस्त चुनते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.
‘दोस्त चुनते समय रखें ये ख्याल'
आईआईटी दिल्ली पहुंचे आचार्य प्रशांत ने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए बताया कि दोस्ती यारी कैसे स्टूडेंट लाइफ का एक जरूरी हिस्सा बन जाता है. उन्होंने कहा कि दोस्ती यारी करना तो जरूरी है, लेकिन दोस्त ऐसे नहीं होने चाहिए जो आपकी कमजोरियों को बढ़ाएं बल्कि ऐसे होने चाहिए जो आपकी कमजोरियों को दूर करने में आपकी मदद करें.
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आचार्य प्रशांत ने साझा किए अपने अनुभव
आचार्य प्रशांत ने आगे कहा कि जब वे आईआईटी दिल्ली में पढ़ते थे उस वक्त कुछ बच्चे ऐसे थे, जो न तो किसी एक्टिविटी में शामिल होते, न ही पढ़ाई में ध्यान लगाते, बस कमरे में पड़े रहते थे. ऐसे लोग फिर एक साथ मिलकर अपना एक ग्रुप बना लेते हैं. ऐसा करके वो अपनी कमजोरियों को बढ़ाते हैं. ऐसे लोग एग्जाम के टाइम पर दूसरों के नोट्स लेकर फोटोकॉपी कराने में लग जाते हैं.
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क्या है अच्छे फ्रेंड्स की अहमियत?
उन्होंने आगे कहा कि आप आईआईटी के चार साल अपने कमरे में सो कर बिता दें और फिर कहें कि कैंपस से आपको कुछ भी नहीं मिला तो ये बेकार की बात है. जिन्हें लेना होता है वह कैंपस को निचोड़ कर उससे सभी अच्छी चीजों को अपने साथ ले जाते हैं. इन सब में अच्छे दोस्तों की खास भूमिका होती है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)