Cholera Symptoms: कभी महामारी के रूप में दुनिया भर में दहशत मचा चुका कोलेरा या हैजा (Cholera) बैक्टीरियल डिजीज यानी जीवाणु से होने वाला रोग है. आमतौर पर यह दूषित पानी और कभी-कभार दूषित खाना से फैलता है. हैजा की वजह से होने वाले गंभीर दस्त और डिहाइड्रेशन का जितनी जल्दी हो सके इलाज करवा लेना चाहिए. सही इलाज नहीं किए जाने पर हैजा कुछ ही घंटों में जानलेवा हो सकता है. यहां तक कि पहले से स्वस्थ लोगों के भी इसके चपेट में आने के पूरे आसार होते हैं. हालांकि, हैजा का इलाज आसानी से हो जाता है. फिर भी इसके खतरे को लेकर जागरूक रहने की जरूरत है.
हैजा क्या है?
हैजा एक तहर का संक्रमण है, जो छोटी आंत में होता है. यह विब्रियो कोलेरी नाम के जीवाणु के कारण होता है. जो आंतों से पानी की अधिक रिहाई का कारण बनता है, जिससे गंभीर दस्त हो सकते हैं. हैजा होने पर दस्त, पेट में ऐंठन और उल्टी जैसे लक्षण दिख सकते हैं.
हैजा कैसे फैलता है, कहां सबसे अधिक होता है संक्रमण का खतरा
आधुनिक सीवेज सिस्टम और वाटर ट्रीटमेंट ने औद्योगिक देशों में हैजा को लगभग समाप्त कर दिया है, लेकिन अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और हैती में हैजा अभी भी मौजूद है. हैजा की महामारी का खतरा तब सबसे अधिक होता है जब गरीबी, युद्ध या प्राकृतिक आपदाएं लोगों को भीड़-भाड़ वाली परिस्थितियों में पर्याप्त स्वच्छता के बिना रहने के लिए मजबूर करती हैं. हैजा जीवाणु को मेडिकल साइंस में विब्रियो कॉलेरी बैक्टीरिया कहते हैं. इसके संक्रमण के बाद तुरंत ज्यादातर लोग बीमार नहीं पड़ते और उन्हें पता भी नहीं चलता कि वे संक्रमित हो गए हैं. जबकि, सात से 14 दिनों तक वे अपने मल में हैजा के बैक्टीरिया छोड़ते हैं, जो दूषित पानी के जरिए दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं.
हैजा के लक्षण (Cholera Symptoms)
हैजा के ज्यादातर मामलों में हल्का या मध्यम दस्त लगना ही सबसे प्रमुख लक्षण होता है. दूसरी वजहों से होने वाले दस्त से अलग हैजा को पहचानना अक्सर मुश्किल होता है. आमतौर पर संक्रमण के कुछ दिनों के बाद ही हैजा के अधिक गंभीर संकेत और लक्षण सामने आते हैं. दस्त के अलावा हैजा के लक्षणों में डिहाइड्रेशन, चिड़चिड़ापन, थकान, धंसी हुई आंखें, मुंह सूखना, बहुत ज्यादा प्यास, सूखी और सिकुड़ी हुई स्किन, कम या बिल्कुल भी पेशाब नहीं आना, लो ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन का अनियमित होना शामिल हैं.
कब बढ़ जाता है हैजा का जोखिम
हर कोई हैजा के प्रति संवेदनशील होता है. इसके बावजूद कुछ फैक्टर आपको बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं या गंभीर लक्षण होने की आशंका ज्यादा हो सकती है. इनमें सफाई की कमी वाले हालात प्रमुख हैं. जैसे शरणार्थी शिविरों, गरीब देशों, अकाल, युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित क्षेत्रों में ऐसी महामारियां आम हैं. अगर आप किसी हैजा पीड़ित शख्स के साथ रहते हैं तो आपको हैजा होने का खतरा बढ़ जाता है. जिन लोगों में पेट में एसिड का स्तर कम होता है उन्हें हैजा होने का अधिक खतरा होता है.
हैजा की रोकथाम कैसे करें, क्या-क्या सावधानी रखें
अगर आप हैजा की आशंका वाले इलाके की यात्रा कर रहे हैं, तो इन सावधानियों का पालन कर बीमारी से संक्रमित होने का जोखिम बेहद कम कर सकते हैं.
1. अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोएं. खासकर शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन करने से पहले जरूर हाथ धोएं. धोने से पहले साबुन लगे गीले हाथों को कम से कम 15 सेकंड तक रगड़ें. साबुन और पानी नहीं मिलने की सूरत में अल्कोहल वाले सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
2. केवल साफ और सुरक्षित पानी पियें. बाहर जाने पर बोतलबंद पानी पीएं या वह पानी पीएं जिसे आपने उबालकर कीटाणुरहित किया हो. सुबह हो या शाम टूथ ब्रश करने के लिए भी बोतलबंद पानी का ही इस्तेमाल करें.
3. गर्म पेय पदार्थ आम तौर पर सुरक्षित होते हैं, जैसे कि डिब्बाबंद या बोतलबंद पेय, लेकिन खोलने से पहले उन्हें बाहर से पोंछ लें. अपने पेय पदार्थों में तब तक बर्फ न मिलाएं जब तक कि आपने इसे सुरक्षित पानी का इस्तेमाल करके खुद नहीं बनाया हो.
4. ऐसा खाना खाएं जो पूरी तरह से पका हुआ और गर्म हो. जितना संभव हो सड़क पर बिकने वाले भोजन से बचें. अगर आप किसी स्ट्रीट वेंडर से खाने का सामान खरीदते हैं, तो सुनिश्चित करें कि यह आपके सामने पकाया गया और गर्म परोसा गया हो.
5. सुशी, साथ ही कच्ची या गलत तरीके से पकी हुई मछली और किसी भी प्रकार के समुद्री भोजन से बचें.
6. उन फलों और सब्जियों का ही सेवन करें जिन्हें आप स्वयं छील सकते हैं, जैसे केले, संतरे और एवोकाडो. ऐसे सलाद और फलों से दूर रहें जिन्हें छीला नहीं जा सकता, जैसे अंगूर और जामुन.
हैजा का इलाज और टीकाकरण
हैजा का इलाज आसान है. इसलिए घबराएं नहीं, लेकिन लक्षण दिखने पर जितनी जल्दी हो पीड़ित को डॉक्टर के पास ले जाएं. दुनिया के कई देशों में हैजा का टीका लगाया जाता है. खासकर हैजा प्रभावित इलाके में जाने से कम से कम 10 दिन पहले एहतियाती तौर पर ओरल डोज भी दिया जाता है. हालांकि, टीके के बावजूद सावधानियों का ख्याल रखें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)