गर्भावस्था में प्रीक्लेम्पसिया (हाई ब्लड प्रेशर) की स्थिति को रोकने के लिए आमतौर पर कम खुराक वाली एस्पिरिन ली जाती है, क्योंकि यह शरीर में सूजन पैदा करने वाले रसायनों को बनाने से रोकती है. ऑस्ट्रेलिया के आरएमआईटी विश्वविद्यालय के एक अंतर्राष्ट्रीय दल और ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन आयरलैंड के सहयोग के किए गए शोध में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या प्रीक्लेम्पसिया के उपचार को फ्लू संक्रमण पर भी लागू किया जा सकता है.
चूहों पर किया गया शोध:
चूहों पर किए गए इस शोध में बेहतर परिणाम देखने को मिले. इसमें चूहों को कम खुराक दी गई, जिससे उनकी सूजन कम होने के साथ भ्रूण के विकास में बेहतर परिणाम सामने आए.
इसके विपरीत इन्फ्लूएंजा-ए से पीड़ित चूहों के भ्रूण, प्लेसेंटा असंक्रमित चूहों के भ्रूणों से छोटे थे. उन्होंने पाया कि भ्रूण में खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम थी और ब्लड वेसल्स की ग्रोथ भी खराब था.
मेलबर्न में आरएमआईटी विश्वविद्यालय में पोस्ट डॉक्टरल प्रमुख शोधकर्ता डॉ. स्टेला लियॉन्ग ने कहा, "गर्भावस्था के दौरान फ्लू का संक्रमण प्रीक्लेम्पसिया जैसा हो सकता है, जो गर्भावस्था की एक जटिलता है, जो महाधमनी और ब्लड वेसल्स में सूजन का कारण बनती है."
उन्होंने कहा, "जब वैस्कुलर सिस्टम (संवहनी प्रणाली) में सूजन आ जाती है तो इससे ब्लड फ्लो खराब हो जाता है और महाधमनी का कार्य प्रभावित होता है."
अभी मानव पर शोध होना बाकी:
"यह खासकर से गर्भावस्था के दौरान आने वाली एक समस्या है, जहां प्लेसेंटा में अच्छा ब्लड फ्लो भ्रूण के विकास के लिए जरूरी है." लियॉन्ग ने कहा, "हालांकि अभी भी मानव पर किए गए परीक्षणों पर शोध होना बाकी है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान कम खुराक वाली एस्पिरिन को सुरक्षित माना जा चुका है."
वहीं, शोध दल ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को नई दवाएं लेने से पहले मेडिकल सलाह जरूर लेनी चाहिए."
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