Breast feeding week 2024 : ब्रेस्टमिल्क कलर को लेकर वो जरूरी बातें जिसका हर नई मां को रखना चाहिए खास ख्याल

नवजात बच्चों के लिए मां के दूध का सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है. ये उनके विकास में मदद करने के साथ ही उनको स्वस्थ रखने में भी मदद करता है. लेकिन कई बार ब्रेस्टमिल्क के रंग से जुड़े कई मिथक माताओं को परेशान कर देते हैं. आइए डॉक्टर से जानते हैं ब्रेस्ट मिल्क को लेकर जुड़े मिथकों से जवाब.

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नवजात बच्चों के लिए मां के दूध का सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है. ये उनके विकास में मदद करने के साथ ही उनको स्वस्थ रखने में भी मदद करता है. लेकिन कई बार ब्रेस्टमिल्क के रंग से जुड़े कई मिथक माताओं को परेशान कर देते हैं. इन अफवाहों के चक्कर में कई बार मांए तनावग्रस्त हो जाती हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक ब्रेस्टमिल्क को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए बल्कि इसके बारे में दी गई सही जानकारी ही मांओं का स्ट्रेस कम कर सकती है. तो आज बात ब्रेस्टमिल्क कलर की करते हैं. आमतौर पर ब्रेस्‍ट मिल्‍क का रंग पीला, सफेद, क्रीम, टैन जैसा होता है. डिलीवरी के बाद ब्रेस्‍ट मिल्‍क का रंग बदलता है. ऐसे में कई बार माताएं इसके रंग को लेकर परेशान हो जाती है. दूध के रंग के बारे में सभी माताओं को जानकारी होना बेहद जरूरी है.

बच्‍चे के जन्‍म के बाद जो सबसे पहला दूध आता है वो कोलोस्‍ट्रम होता है. शुरुआत में यह बहुत कम आता है. लेकिन यह पौष्टिक दूध बच्‍चे के लिए बेहद ही लाभदायक होता है. कोलोस्‍ट्रम में बीटा-कैरोटीन की उच्‍च मात्रा होती है. इसी कारण यह गाढ़ा हल्‍के पीले रंग का होता है. यह बच्चे के जन्‍म के बाद लगभग 4 से 5 दिनों तक आता है. इसके बाद के दिनों में माताओं को जो दूध आता है उसे ट्रांजिशन मिल्‍क कहा जाता है. यह पहले के मुकाबले काफी पतला होता है.

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जन्‍म के लगभग दो हफ्ते के बाद मैच्‍योर मिल्‍क आने लगता है. बता दें कि इस दूध का रंग इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें कितनी मात्रा में फैट की मौजूदगी है. इसके बाद जब दूध में फैट की मात्रा कम हो जाती है. जिसके बाद पतला दूध आने लगता है , जिसे मेडिकल भाषा में फोरमिल्‍क कहा जाता है.

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आईएएनएस ने दूध के रंग के बारे में ज्‍यादा जानने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अर्पणा हरितवाल से बात की. उन्होंने बताया कि जन्‍म के बाद जो सबसे पहला दूध आता है वह डार्क येलो कलर का होता है. उसे हम कोलोस्‍ट्रम कहते हैं. इसी दूध के अंदर प्रचूर मात्रा में एंटीबॉडी होती है. यह बच्‍चे की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है. डॉ. अर्पणा ने बताया कि इसके बाद जो दूध आता है, वह थोड़ा हल्‍के रंग का होता है. उस दूध में पानी की मात्रा ज्‍यादा होती है. यह मिल्‍की वाइट कलर का होता है जो बच्‍चे को हाइड्रेट रखने में मदद करता है. डॉक्‍टर ने बताया कि यह दोनों ही तरह के दूध बच्‍चे की सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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