महिला ब्रांड को हाल ही में आयोजित तीसरे ‘मेंट्रुअल हाइजीन मैनेजमेंट इंडिया कॉन्फरेंस' में ‘मासिक धर्म स्वच्छता संबंधी सर्वश्रेष्ठ सामाजिक पहल' के रूप में सम्मानित किया गया. ब्रांड ने सैनिटरी पैड बनाने के लिए केले के रेशों का उपयोग किया. माता अमृतानंदमयी मठ प्रोजेक्ट के तहत रि-बिल्ट इस्तेमाल किए जा सकने वाले ‘सौख्यम' पैड देश के कई राज्यों में वूमेन सेल्फ ग्रुप द्वारा बनाए जाते हैं.
कंपनी ने बताया कि केले के रेशे और सूती कपड़े से बने इन पैड की कीमत पारंपरिक पैड की तुलना में बहुत कम होती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मासिक धर्म के दौरान कपड़े के सैनिटरी पैड के इस्तेमाल को स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर बताते हैं.
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‘हील फाउंडेशन' के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘पांच साल पहले ‘वाटरएड इंडिया' और ‘यूनिसेफ' ने एक सर्वेक्षण के बाद दावा किया था कि स्कूलों में शौचालय और सैनिटरी पैड न होने के कारण दक्षिण एशिया में एक तिहाई से अधिक लड़कियां स्कूल नहीं जातीं.''
सौख्यम पैड को राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा ‘बेस्ट इनोवेशन प्रोडक्ट अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया गया है.
इस प्रोजेक्ट की पोलैंड में यूनाइटेड नेशन क्लाइमेट चेंज कॉन्फरेंस (2018) में भी सराहना की गई थी. नीति आयोग ने पिछले साल ‘सौख्यम' को ‘वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवॉर्ड' से सम्मानित किया था.