बेंगलुरु के डॉक्टरों ने समय से पहले 25 सप्ताह में जन्मी बच्ची को दिया जीवनदान

बेंगलुरु में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए डॉक्टरों ने समय से पहले जन्मी 25 हफ्ते की एक बच्ची को जीवनदान दिया. जन्म के समय मासूम का वजन मात्र 750 ग्राम था.

Advertisement
Read Time: 3 mins

बेंगलुरु में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए डॉक्टरों ने समय से पहले जन्मी 25 हफ्ते की एक बच्ची को जीवनदान दिया. जन्म के समय मासूम का वजन मात्र 750 ग्राम था.  बेंगलुरु के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के चिकित्सकों ने 25 सप्ताह की अवधि में मां में गर्भाशय-ग्रीवा और गंभीर यूरिनरी इंफेक्शन (यूटीआई) की पहचान की. अक्षम गर्भाशय ग्रीवा डिजीज गर्भाशय ग्रीवा को छोटा और कमजोर कर सकती है या गर्भावस्था के दौरान इसे बहुत जल्दी खोल सकती है. वहीं, यूटीआई सूजन संबंधी परेशानियों का कारण बनती है, जिससे गर्भाशय में संकुचन होता है और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है.

गंभीर यूटीआई के कारण 25 सप्ताह में प्रसव के दौरान झिल्ली का फटना शुरू हो गया, जिसके कारण बेंगलुरु की इस महिला ने 750 ग्राम वजन की एक बच्ची को जन्म दिया. 25 सप्ताह की उम्र में, भ्रूण के अधिकांश अंग ठीक से विकसित नहीं होते हैं, और इसलिए समय से पहले जन्मे ऐसे बच्चों के बचने की संभावना बहुत कम होती है.

क्लाउडनाइन में कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ मोहित सिंघल ने बताया, ''जब मां 25 सप्ताह की गर्भवती थी और उसे अक्षम गर्भाशय ग्रीवा और गंभीर यूरिनरी संक्रमण (यूटीआई) का पता चला तो हम परिणाम और बच्चे के जीवित रहने के संभावना को लेकर काफी संदेह में थे.'' उन्होंने कहा, ''पश्चिमी देशों में 24 से 26 सप्ताह के बीच जन्म लेने वाले लगभग 50-60 प्रतिशत बच्चे जीवित रह सकते हैं. 4 में से केवल 1 बच्चे (25 प्रतिशत) का ही जीवित रहना संभव है. लगभग 50 प्रतिशत में हल्की विकासात्मक कमियां हो सकती हैं और 25 प्रतिशत को गंभीर न्यूरो डेवलपमेंट समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि मूवमेंट सेरेब्रल पाल्सी, सुनने की क्षमता में कमी, दृष्टि में कमी और सीखने में गंभीर कठिनाई होना शामिल है.''

Advertisement

जन्म के तुरंत बाद बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, जिसके कारण उसे इनट्यूबेशन और वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी. दूसरे दिन, बच्चे को हाइपोटेंशन या लो ब्लड प्रेशर का अनुभव हुआ और उसे रक्त संचार को स्थिर करने और ऑक्सीजन की आपूर्ति को अनुकूल बनाने के लिए दवाओं की जरूरत पड़ी.

Advertisement

इसके अलावा, हृदय की स्थिति का आकलन करने के लिए किए गए ईसीएचओ स्कैन से एक महत्वपूर्ण पेटेंट डक्टस आर्टेरीओसस नामक अतिरिक्त रक्त वाहिका का पता चला, जिसे दवा देकर हटा दिया गया.  डॉक्टर ने कहा कि नवजात शिशु को 62 दिनों की चुनौतीपूर्ण देखभाल में रखने के बाद 1.67 किलोग्राम वजन होने पर छुट्टी दे दी गई. उन्होंने कहा कि "बच्ची ठीक है, बिना किसी जटिलता के बढ़ रही है".

Advertisement

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Naraina Car Showroom Firing: पुलिस ने की तीनों शूटरों की पहचान, तीनों हिमांशु भाऊ गैंग से जुड़े
Topics mentioned in this article