द जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि एडब्ल्यूएस न केवल आरए के लक्षणों को कम करता है बल्कि रोगियों में सामान्यीकरण की दिशा में मेटाबॉलिज्म बदलाव भी लाता है. लखनऊ विश्वविद्यालय, यूपी के काया चिकित्सा विभाग के प्रथम लेखक डॉ. संजीव रस्तोगी ने कहा. "यह अध्ययन आयुर्वेदिक कंप्लीट सिस्टम अप्रोच से रूमेटाइड गठिया के इलाज के मामले में विकृति के उलट होने की अप्रोच से महत्वपूर्ण है.
यह भी पढ़ें: वीकेंड पर सबसे ज्यादा नींद लेने वाले लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा कम, अध्ययन में सामने आई ये बात
अध्ययन में रूमेटाइड गठिया रोगियों के बीच की क्लिनिकल पैरामीटर में पर्याप्त सुधार के बारे में भी बताया गया.
इसके अलावा, इलाज ने रूमेटाइड अर्थराइटिस रोगियों के मेटाबॉलिज्म प्रोफाइल में भी सुधार किया. एडब्ल्यूएस ट्रीटमेंट के बाद, रूमेटाइड अर्थराइटिस रोगियों के कुछ मेटाबोलाइट्स लेवल, जिनमें सक्सिनेट, लाइसिन, मैनोज, क्रिएटिन और 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट (3-एचबी) शामिल हैं, के साथ-साथ एलेनिन लेवल में कमी हेल्दी व्यक्तियों में देखे गए लेवल की ओर बढ़ने लगी. इसने ज्यादा संतुलित मेटाबॉलिक कंडिशन में वापसी का संकेत दिया.
शोधकर्ताओं ने कहा, "यह अध्ययन रूमेटाइड अर्थराइटिस के मैनजमेंट में एडब्ल्यूएस की क्लिनिकल एफिशिएंसी को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है." उन्होंने कहा कि इस हस्तक्षेप से न केवल लक्षणों में कमी आई है, बल्कि होमियोस्टेसिस के लिए अनुकूल मेटाबॉलिज्म वातावरण को भी बढ़ावा मिला है, जिससे आरए रोगियों को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)