दिवाली पर दिल्ली समेत उत्तर भारत में AQI खतरनाक लेवल पर, जानिए कौन से 5 राज्यों में स्थिति सबसे खराब

हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली की रात एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई जगहों पर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है.

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दिवाली के पटाखों से निकलने वाले धुएं का असर काफी समय तक महसूस होता है.

Pollution On Diwali 2024: दिवाली का त्यौहार रोशनी, खुशियों और रौनक का प्रतीक माना जाता है, लेकिन हर साल इस पर्व के दौरान होने वाले पटाखों के इस्तेमाल से हवा में प्रदूषण की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है. खासकर उत्तर भारत में, जहां सर्दियों की शुरुआत के साथ ही हवा में ड्रायनेस और ठंडक बढ़ने लगती है, वहां दिवाली के पटाखों से निकलने वाले धुएं का असर काफी समय तक महसूस होता है. एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली की रात एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई जगहों पर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है.

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हालांकि इस प्रदूषण का असर दीर्घकालिक नहीं होता और अगले 24 घंटों में हवा का लेवल धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है, लेकिन कुछ हानिकारक तत्व हवा में लंबे समय तक रहते हैं जो फेफड़ों और सांस की बीमारियों के जोखिम को बढ़ाते हैं. Airvoice नामक एयर क्वालिटी सॉल्यूशन्स कंपनी की इस रिपोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया है कि दिवाली पर बढ़ने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पारंपरिक बैन से ज्यादा प्रभावी कदमों की जरूरत है ताकि लोग अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को भी मना सकें और स्वास्थ्य पर भी कम असर पड़े.

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रिपोर्ट में 2019 से 2023 के बीच के डेटा का विश्लेषण किया गया है, जिसमें 14 राज्यों के 180 सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) स्टेशन्स की जानकारी शामिल है. इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में दिवाली पर सबसे खराब एयर क्वालिटी देखी गई है.

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दिवाली की रात दिल्ली सबसे प्रदूषित:

रिपोर्ट में पाया गया कि खासकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में दिवाली की रात PM2.5 लेवल नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (NAAQS) से 875 प्रतिशत ज्यादा तक पहुंच जाता है, जो सामान्य स्तर से कई गुना ज्यादा है. राजस्थान ने भी अक्टूबर-नवंबर के औसत लेवल से एयर क्वालिटी में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की है. रिपोर्ट में बिहार और पंजाब भी टॉप 5 प्रदूषित राज्यों में शामिल हैं.

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Airvoice के सीईओ कर्नल अश्विनी के. चनन ने कहा कि यह रिपोर्ट सबसे व्यापक और विस्तृत है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा मॉनिटरिंग स्टेशनों का डेटा शामिल किया गया है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पूरे देश की एयर क्वालिटी का सही अंदाज़ा लगाने के लिए अभी भी पर्याप्त मॉनिटरिंग स्टेशन्स की कमी है. उन्होंने आशा जताई कि आने वाले समय में एयर क्वालिटी डेटा और आसानी से उपलब्ध होगा, जिससे सरकारें इस पर कदम उठा सकेंगी.

प्रदूषण का शॉर्ट-लिव्ड इम्पैक्ट:

हालांकि दिवाली की रात PM2.5 लेवल में तेजी से उछाल आता है, लेकिन रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगले 24 घंटों में एयर क्वालिटी वापस सामान्य स्तर पर लौट आती है. रिपोर्ट के अनुसार, "दिवाली के दौरान प्रदूषण में भारी वृद्धि के बावजूद इसका असर ज्यादातर शॉर्ट-लिव्ड होता है," यानि कुछ ही समय में एयर क्वालिटी पहले जैसी हो जाती है.

लेकिन यह भी कहा गया कि सिर्फ PM2.5 ही नहीं, बल्कि कई अन्य टॉक्सिक मेटल्स जैसे एल्युमिनियम, मैंगनीज, और कैडमियम भी पटाखों के जलने से हवा में फैलते हैं. ये मेटल्स हवा में बने रह सकते हैं और लंबे समय तक सांस की दिक्कतें पैदा कर सकते हैं.

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फायरक्रैकर बैन से जुड़ी चुनौतियां:

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि फायरक्रैकर्स पर बैन लगाने से प्रदूषण में कमी लाने में कुछ खास असर नहीं पड़ा है. इसे देखते हुए रिपोर्ट में "संस्कृति का सम्मान करते हुए शॉर्ट-टर्म पॉल्यूशन को कम करने के लिए नए और इनोवेटिव सॉल्यूशन्स" की जरूरत पर जोर दिया गया है.

Airvoice की इस रिपोर्ट से यह साफ है कि दिवाली के दौरान बढ़ने वाले प्रदूषण के मसले को सॉल्व करने के लिए सटीक डेटा और बेहतर मॉनिटरिंग की जरूरत है, ताकि एयर क्वालिटी को सुधारने की दिशा में असरदार कदम उठाए जा सकें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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