क्लाइमेंट चेंज के बढ़ते प्रभाव से भारत में तापमान में वृद्धि हो रही है और भीषण गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से पूरे उत्तर भारत में तापमान लगातार 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है और कई जगह तो तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पास तक पहुंच गया. तापमान के 50 डिग्री सेल्सियस ( temperature above 50 degrees Celsius) से अधिक होना मानव शरीर (Human body) के लिए खतरनाक साबित होता है. यह कई तरह की चुनौतियां लाता है जिससे झेलना आसान नहीं होता है. तेज गर्मी बॉडी में कॉम्प्लेक्स सीरिज को ट्रिगर कर देता है जिससे कई तरह की परेशानियां शुरू हो सकती है. आइए जानते हैं तापमान 50 डिग्री सेल्सियस पहुंचने का ह्यूमन बॉडी पर क्या असर (effect of 50 degrees Celsius on human body) होता है.
शरीर के तापमान को बैलेंस रखना मुश्किल
विशेषज्ञों के अनुसार जब तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो ह्यूमन बॉडी को अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता है. ह्यूमन बॉडी का तापमान सामान्यतः 37 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है. बॉडी इस तापमान को बनाए रखने के लिए पसीने और ब्लड वेसेल्स के फैलाव के माध्यम से कड़ी मेहनत करता है. तापमान के 50 डिग्री से ऊपर पहुंचने पर यह सिस्टम फेल होने लगता है.
बहुत अधिक पसीना और लो बीपी
बॉडी तापमान को संतुलित रखने के अत्यधिक पसीना बहाने लगता है. लेकिन तेज गर्मी के कारण पसीना तुरंत सूख जाता है. स्किन के पास के ब्लड वेसेल्स गर्मी को खत्म करने में मदद करने के लिए फैलने लगती है, इनके बहुत ज्यादा फैलने का असर बीपी के लो होने के रूप में सामने आता है.
हीट स्ट्रोक का खतरा
जब बॉडी ठंडा नहीं हो पाता है तो गर्मी का तनाव शुरू हो जाता है, जिसके कारण चक्कर आना, थकान और मसल्स में ऐंठन की समस्याएं होने लगती है. इससे भ्रम, धड़कन तेज़ होना और पसीना न आना जैसे लक्षण सामने आते हैं और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. हीट स्ट्रोक के कारण ब्रेन, हार्ट, लिवर और को नुकसान पहुंच सकता है.
तेज गर्मी से सेहत को होने वाले नुकसान (Harmful effects of extreme heat on health)
थकावट और हीट स्ट्रोक
तेज गर्मी के कारण कुछ ही घंटों में थकावट और हीट स्ट्रोक का खतरा उत्पन्न हो जाता है. अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो हीट स्ट्रोक से आर्गन फेल होने और मौत तक हो सकती है.
डिहाइड्रेशन
बहुत अधिक पसीना आने के कारण बॉडी डिहाइड्रेट होने लगती है. इसके कारण लिवर फेल होने का खतरा रहता है. हार्ट पर भी दबाव बढ़ सकता है.
हार्ट संबंधी परेशानी
ब्लड वेसेल्स के फैल जाने के कारण हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल के दौरे और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, विशेष रूप से बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए खतरा अधिक होता है.
तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर बचाव के उपाय (Preventive measures when the temperature exceeds 50 ° C)
खूब पानी पिएं और कैफीन और अल्कोहल से दूर रहे, इनसे बॉडी के डिहाइड्रेट होने का खतरा बढ़ सकता है. सीधी धूप से बचकर रहें. जितना संभव हो अच्छी हवादार जगह पर रहें. हल्के, ढीले-ढाले और हल्के रंग के कपड़े पहनें. फिजिकल एक्टिविटी कम करें. बॉडी को ठंडा रखने के लिए गर्दन, कलाई और बगल पर आइस पैक का यूज करें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)