फायदे की बात! सरकार ने पेश किया नया इंश्योरेंस बिल, आम जनता को होगा फायदा, जानें यहां

Insurance Laws: पिछले कई साल से जारी जद्दोजहद और स्टेकहोल्डर्स के साथ सलाह मशवरे के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) 74% से बढ़ाकर 100% करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी.

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बीमा कंपनियों में अब 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी.

Insurance Laws: पिछले कई साल से जारी जद्दोजहद और स्टेकहोल्डर्स के साथ सलाह मशवरे के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) 74% से बढ़ाकर 100% करने  वाले विधेयक को मंजूरी दे दी. विदेशी निवेश की सीमा बढ़ने से भारत में इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश और बढ़ाने की उम्मीद है.

आम उपभोक्ताओं को क्या होगा फायदा? 

  • अगर इस नए विधेयक को संसद की मंजूरी मिल जाती है तो भारत में इंश्योरेंस सेक्टर में दुनिया की बड़ी इंश्योरेंस कंपनियां ज्यादा निवेश कर सकेंगे.
  • बीमा बाजार में ग्लोबल इंश्योरेंस कंपनियां के आने से इंश्योरेंस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इंश्योरेंस पॉलिसी की प्रीमियम कॉम्पिटेटिव और सस्ती हो सकती हैं.
  • इंश्योरेंस पॉलिसीज के ज्यादा अफॉर्डेबल होने की उम्मीद है, आम लोगों के लिए आसान शर्तों और कीमत पर पॉलिसी खरीदना संभव हो सकेगा.
  • उपभोक्ताओं को ग्लोबल स्टैंडर्ड के नए इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स मिलेंगे.
  • बीमा बाजार में कंपटीशन बढ़ने से इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी कस्टमर सेवाएं बेहतर हो सकती हैं,  इंश्योरेंस क्लेम के आवेदनों का भुगतान कारगर तरीके से हो सकेगा.
  • बीमा बाजार में विदेशी निवेश बढ़ने से पूरे बीमा क्षेत्र में रोजगार की नई संभावनाएं बढ़ेगी, आर्थिक विकास को बल मिलेगा.
  • इससे भारत में इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी जो अभी अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड से कम है.

सूत्रों के मुताबिक, यह विधेयक संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. Insurance Laws (Amendment) Bill 2025 (बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2025) संसद की शीत सत्र के दौरान सरकार के एजेंडा में शामिल 13 महत्वपूर्ण बिलों में शामिल है. इस प्रस्तावित विधायक का मुख्य उद्देश्य देश में बीमा सेक्टर के विस्तार और बीमा क्षेत्र में विकास की गति को बढ़ाना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के बजट में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रखा था. अब कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है.

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इंश्योरेंस सेक्टर में FDI की सीमा बढ़ाकर 100% करने से भारत के बीमा बाजार में महत्वपूर्ण विदेशी पूंजी आकर्षित होने, बीमा कंपनियों मे आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ने और ग्राहक सेवाओं में सुधार होने की उम्मीद है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक बीमा क्षेत्र ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के माध्यम से ₹82,000 करोड़ आकर्षित किए हैं. वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 100% तक बढ़ाना, चुकता पूंजी को कम करना और एक समग्र लाइसेंस की शुरुआत करना शामिल है.

व्यापक विधायी प्रक्रिया के अंतर्गत, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 (Life Insurance Corporation Act 1956), 
और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 (Insurance Regulatory and Development Authority Act 1999) के साथ-साथ बीमा अधिनियम 1938 (Insurance Act 1938) में संशोधन किया जाएगा.

एलआईसी अधिनियम (LIC Act) में संशोधन के तहत इसके बोर्ड को शाखा विस्तार (branch extension) और भर्ती जैसे बिजनेस ऑपरेशन से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार दिया जाएगा. मौजूदा इंश्योरेंस कंपनियों मे प्रस्तावित संशोधन के जरिए सरकार पॉलिसी धारकों के हितों को और मजबूत करना चाहती है उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाना चाहती है और भारत में बीमा बाजार में दुनिया की बड़ी अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियां के प्रवेश को आसान बनाना चाहती है. इन प्रस्तावित सुधरो से भारत में बीमा क्षेत्र में इंश्योरेंस कंपनियां की कार्यकुशलता में सुधार, व्यावसायिक प्रक्रियाओं में सरलता और बीमा कवरेज में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे 2047 तक 'सभी के लिए बीमा' (Insurance for All) के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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