जब भी हम खाना बनाने जाते हैं, तो उसे टेस्टी और हेल्दी बनाने के लिए बेस्ट इंग्रेडिएंट्स का चुनाव करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस बर्तन में आप खाना बना रहे हैं, वो कितना सेफ है? आजकल ज्यादातर लोग नॉन-स्टिक कुकवेयर या प्लास्टिक कंटेनर्स का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि ये सुविधाजनक और मॉडर्न लगते हैं. लेकिन हकीकत यह है कि ये मटेरियल्स आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकते हैं. डॉक्टर हंसाजी ने बताया कौन से बर्तन में खाना बनाना है सेफ और कौन से बर्तन सेहत को पहुंचा रहे हैं नुकसान.
नॉन-स्टिक कुकवेयर: आसान कुकिंग लेकिन छिपा ज़हर
नॉन-स्टिक पैन इसीलिए पसंद किया जाता है क्योंकि इसमें कम तेल लगता है और खाना जलता नहीं. लेकिन इसका कोटिंग ज़्यादातर टेफ्लॉन (Teflon) से बनी होती है. जब टेफ्लॉन को हाई टेम्परेचर पर गर्म किया जाता है, तो यह टूटने लगता है और हानिकारक केमिकल्स छोड़ता है. धीरे-धीरे छोटे-छोटे टेफ्लॉन के टुकड़े खाने में मिल जाते हैं और शरीर में पहुंचकर थायरॉइड प्रॉब्लम, लिवर डैमेज, और यहां तक कि कैंसर का जोखिम बढ़ा देते हैं.
प्लास्टिक यूटेंसिल्स और स्टोरेज कंटेनर: सस्ता लेकिन नुकसानदायक
प्लास्टिक सस्ता और हल्का होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल बहुत आम है. लेकिन जब यह गर्म खाने या माइक्रोवेव के संपर्क में आता है, तो इसमें से BPA और Phthalates जैसे हानिकारक कंपाउंड्स निकलते हैं. ये केमिकल्स शरीर के हॉर्मोनल सिस्टम को बिगाड़ देते हैं और ओबेसिटी, इनफर्टिलिटी, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स और कैंसर का खतरा बढ़ा देते हैं. गर्म खाना जब प्लास्टिक कंटेनर में रखा या परोसा जाता है, तो प्लास्टिक के पार्टिकल्स सीधे खाने में मिल जाते हैं. इसलिए कोशिश करें कि प्लास्टिक कंटेनर में खाना स्टोर या रीहीट न करें.
ये भी पढ़ें: 9 बजे के बाद खाते हैं खाना तो जान लीजिए इसके नुकसान, रात को खाना खाने का सही समय क्या है?, Dr Hansaji ने बताया क्या है सही तरीका
एल्युमीनियम कुकवेयर: हल्का लेकिन दिमाग पर भारी
एल्युमीनियम बर्तन हल्के और सस्ते होते हैं, इसलिए लगभग हर घर में मिल जाते हैं. लेकिन जब इनमें एसिडिक फूड (जैसे टमाटर, इमली, दही) बनाया जाता है, तो एलुमिनियम घुलकर खाने में चला जाता है. यह धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर ब्रेन प्रॉब्लम्स जैसे अल्ज़ाइमर और मेमोरी लॉस का कारण बन सकता है.
किन बर्तनों में खाना बनाना है सेफ ( Best Utensils For Cooking)
इन सभी खतरों को देखते हुए, अब समय है कि हम अपने ट्रेडिशनल इंडियन कुकवेयर को अपनाएं जो न सिर्फ सेफ हैं बल्कि हमारे भोजन को ज्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट भी बनाते हैं.
कॉपर यूटेंसिल्स (तांबे के बर्तन)
कॉपर जल्दी और समान रूप से गर्म होता है, इसलिए यह करी और स्लो-कुक डिशेज़ के लिए बेहतरीन है.
इसके फायदे:
• एंटी-माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज के कारण यह शरीर को डिटॉक्स करता है.
• हीमोग्लोबिन बढ़ाता है और डाइजेशन सुधारता है.
• त्वचा और बालों के लिए अच्छा है.
ध्यान रखें – एसिडिक फूड इसमें न पकाएं, वरना कॉपर टॉक्सिसिटी का खतरा बढ़ सकता है.
कास्ट आयरन कुकवेयर (लोहा)
कास्ट आयरन की कढ़ाई या तवा में खाना धीमी आंच पर समान रूप से पकता है.
इसके फायदे:
• खाना जलता नहीं और न्यूट्रिएंट्स सुरक्षित रहते हैं.
• समय के साथ इसमें नेचुरल नॉन-स्टिक लेयर बन जाती है.
• इसमें बना खाना आयरन का अच्छा स्रोत होता है, जो एनीमिया से बचाता है.
स्टेनलेस स्टील कुकवेयर
यह सबसे प्रैक्टिकल और सेफ विकल्पों में से एक है.
इसके फायदे:
• ड्यूरेबल और नॉन-रिएक्टिव होता है.
• हर तरह की कुकिंग के लिए उपयुक्त.
• सस्ता और मेंटेन करने में आसान.
क्ले पॉट या मिट्टी के बर्तन
मिट्टी के बर्तनों में बना खाना न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि इसमें नेचुरल मिनरल्स भी मिलते हैं.
इसके फायदे:
• इसका पोरस नेचर हीट और मॉइस्चर को समान रूप से फैलाता है.
• खाना जलता नहीं और कम तेल में बनता है.
• मिट्टी का अल्कलाइन नेचर फूड के एसिड को न्यूट्रल करता है और pH बैलेंस बनाए रखता है.
History of Samosa- Swaad Ka Safar | समोसे का इतिहास | जानें ईरान से भारत कैसे पहुंचा समोसा
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














