खाने का शौक किसे नहीं होता. हां, सबकी पसंद जरूर अलग अलग हो सकती है. कई बार ऐसा होता है कि आप बड़े चाव से खाना खाते हैं लेकिन उसके बाद आप उल्टी, दस्त या फिर पेट की कोई अन्य गड़बड़ी के शिकार हो जाते हैं. ये सब फूड प्वाइजनिंग के लक्षण हो सकते हैं. ऐसा जब भी होता है तो इल्जाम उस खाने पर ही लगता है जिसे खाने के बाद आपको फूड प्वाइजनिंग होती है. लेकिन ये भी जान लीजिए कि आपके खाने का जायका बिगाड़ने और फूड प्वाइजनिंग (Food Poisoning Causes) के लिए सिर्फ खाना ही जिम्मेदार नहीं होता. कुछ और फैक्टर्स होते हैं, जिनकी वजह से आपको ये तकलीफ हो सकती है.
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वर्क स्पेस रखें साफ
आपके आसपास साफ सफाई की कमी होगी तो उसका असर आपके पेट पर भी पड़ेगा. खाना बनाते समय, खाना खाते समय अपने हाथ जरूर साफ करें. हाथों के अलावा वो जगह भी साफ रखना जरूरी है जहां आप खाना पकाते हैं. इसके साथ ही आप दिन भर जहां समय बिताते हैं, यानी कि आपकी वर्कप्लेस उसकी सफाई का भी आपके पेट की सेहत पर असर पड़ता है.
खाना अलग अलग रखें
खाने के सामान को रखने का तरीका भी फूड प्वाइजनिंग की वजह बन सकता है. अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं तो चिकन, मटन और अंडे अलग अलग ही रखें. हो सके तो सबके लिए अलग कटिंग बोर्ड भी रखें. खासतौर से नॉनवेज और वेज का चॉपिंग बोर्ड अलग रखना ही बेहतर होगा.
सही तापमान पर पकाएं
आप खाना खुद पकाएं या फिर रेडी टू ईट फूड लेकर आएं. दोनों को ही सही तापमान पर गर्म जरूर करें. ऐसा करने से खाने में मौजूद जर्म्स खत्म हो सकते हैं.
फ्रिज में रखें
खाने बनाने और खाने के बाद जो खाना बचा है, उसे फिर से यूज करना है तो उसे समय रहते फ्रिज में रख दें. कोशिश करें पकने के बाद एक से दो घंटे के बीच में खाना फ्रिज में रख दें.
एक्सपायरी डेट चेक करें
पैकेट बंद खाना लेते हैं तो ध्यान से उसकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें. जिस भी खाने की एक्सपायरी डेट निकल चुकी हो, उस खाने को खाने की गलती न करें. वो फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.