Somvati Amavasya 2024: अखंड सौभाग्य के लिए इस दिन रखेंगी सुहागिन सोमवती अमावस्या का व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और रेसिपी

Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या के दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं.

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Somvati Amavasya 2024: इस दिन रखा जाएगा सोमवती अमावस्या का व्रत.

Somvati Amavasya 2024: सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि का बेहद महत्व है. अगर यह तिथि सोमवार या शनिवार को पड़े तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. जब किसी भी माह की अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है, उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस बार भाद्रपद माह की अमावस्या सोमवती अमावस्या है, जो 2 सितंबर को है. सोमवती अमावस्या की ति​थि 2 सितंबर को सुबह 5:21 बजे से 3 सितंबर को सुबह 7:24 बजे तक है. ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा और व्रत करने का विधान है. इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं. 

सोमवती अमावस्या तिथि पर क्या करें और क्या न करें? (What To Do And What To Don't On Somvati Amavasya)

  • अपने पितरों को भोजन, जल और अन्य वस्तुएं अर्पित करें.
  • मांसाहारी भोजन या शराब का सेवन न करें.
  • धर्मग्रंथों का पाठ करें.
  • इस दिन चना, मसूर दाल, सरसों का साग और मूली जैसी चीजों को खाने की मनाही होती है. 
  • पूजा-पाठ पर ज्यादा से ज्यादा जोर दें.
  • भगवान विष्णु की पूजा करें.
  • इस तिथि पर क्रोध करने से बचें.

सोमवती अमावस्या व्रत रेसिपी- (Somvati Amavasya Vrat Recipe)

सोमवती अमावस्या पर कई महिलाएं व्रत करती हैं. अगर आप व्रत कर रहे हैं तो आप मखाने की खीर का सेवन कर सकते हैं. इसे आसानी से बनाया जा सकता है. इसे बनाने के लिए आपको दूध, मखाना, चीनी, ड्राई फ्रूट्स और इलायची पाउडर की आवश्यकता होती है.

Photo Credit: iStock

सोमवती अमावस्या पूजन विधि- (Somvati Amavasya Pujan Vidhi 2024) 

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें. इसके बाद स्नान करें. अब भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके पश्चात भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें. शास्त्रों के अनुसार इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ को स्पर्श करके पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ पर भी चढ़ाने की मान्यता है. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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