Effects of the Artificial Sweetener Neotame: आजकल कई तरह के फूड आइटम्स और सॉफ्ट ड्रिंक्स वगैरह में चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. चीनी का ऐसा ही एक विकल्प है नियोटेम. चीनी के मुकाबले यह काफी ज्यादा मीठा होता है. हालांकि, कुछ रेगुलेटरी एजेंसी ने इसके इस्तेमाल को मंजूरी दी है, लेकिन इससे सेहत को होने वाली कई दिक्कतों को लेकर चिंता भी जताई है. आइए, हम जानते हैं कि नियोटेम के इस्तेमाल से आपके स्वास्थ्य पर क्या-क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.
नियोटेम के इस्तेमाल के साइड इफेक्ट्स (Side effects of consuming Neotame)
वजन बढ़ने की संभावना : कैलोरी-फ्री होने के बावजूद, नियोटेम जैसे कृत्रिम मिठास शरीर की कैलोरी सेवन को कंट्रोल करने की क्षमता को बाधित कर सकते हैं. इससे अधिक खाना खाने और वजन बढ़ने की संभावना होती है. क्योंकि नियोटेम की ज्यादा मिठास स्वाद रिसेप्टर्स को असंवेदनशील बना सकती है, जिससे मीठे खाने की लत लगने के चांसेज होते हैं. जाहिर है, इससे बॉडी में हाई कैलोरी जमा हो सकती है.
आंत के कामकाज में गड़बड़ी : नियोटेम सहित तमाम आर्टिफिशियल स्वीटनर आंत माइक्रोबायोटा की संरचना और कार्य को बदल सकते हैं. आंत बैक्टीरिया में यह असंतुलन पाचन समस्याओं, सूजन और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी दिक्कतों को बढ़ाकर कई तरह की बमारियों की वजह बन सकता है.
मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा : कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कृत्रिम मिठास के नियमित सेवन से मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है. इनमें मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना शामिल हैं.
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इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज की आशंका : नियोटेम का इस्तेमाल आपकी बॉडी में इंसुलिन सेंसेशन और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी कर सकता हैं. इससे लंबे समय में इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है.
हृदय की सेहत पर प्रभाव : कुछ मेडिकल रिसर्च में कृत्रिम मिठास के नियमित सेवन और दिल के दौरे और स्ट्रोक सहित हृदय रोग के बढ़ते जोखिम के बीच संबंध का खुलासा किया गया है.
न्यूलॉजिकल इफेक्ट्स : मेडिकल प्रोफेशनल्स चिंता जताते हैं कि नियोटेम या उसके जैसा दूसरा आर्टिफिशियल स्वीटनर्स सिरदर्द, माइग्रेन और मूड में गड़बड़ी सहित कई न्यूरोलॉजिकल प्रभाव डाल सकता है.
लत लगने की आशंका : नियोटेम समेत तमाम कृत्रिम मिठास कुछ व्यक्तियों में नशे की लत जैसे व्यवहार को ट्रिगर कर सकती है. इससे मीठे फूड आइटम्स और ड्रिंक्स पर निर्भरता बढ़ सकती है.
भूख पर काबू नहीं होना : कृत्रिम मिठास के नियमित सेवन से भूख को नियंत्रित करने की क्षमता बाधित हो सकती है. इससे संभावित रूप से कैलोरी की मात्रा बढ़ सकती है.
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दांतों में सड़न और दूसरी दिक्कतें : नियोटेम खुद तो दांतों की सड़न को बढ़ावा नहीं देता है, लेकिन मीठे फूड और ड्रिंक्स में इसकी मौजूदगी डेंटल प्रॉब्लम्स को बढ़ा सकती है. इन प्रोडक्ट्स का अधिक मात्रा में सेवन ओरल हाइजीन को भी प्रभावित करता है.
एलर्जी और रिएक्शंस का खतरा : हालांकि, यह कम होता है, लेकिन कुछ लोगों को नियोटेम या दूसरे आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले प्रोडक्ट्स से एलर्जी हो सकती है. इसमें पित्ती, खुजली, सूजन, सांस लेने में कठिनाई और एनाफिलेक्सिस जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं.
नियोटेम के हमारे स्वास्थ्य पर होने वाले साइड इफेक्ट्स से कैसे बचें
आखिर में यह जानना जरूरी है कि रेगुलेटरी एजेंसी भी नियोटेम के इस्तेमाल को तय सीमा और स्तर में ही मंजूरी देती है. इसके बावजूद नियोटेम के हमारे स्वास्थ्य पर होने वाले साइड इफेक्ट्स को लेकर हमें सचेत रहना चाहिए. अपनी डाइट में इसे शामिल करने से पहले काफी सोचना या दूसरे कम नुकसानदेह विकल्प अपनाने पर विचार करना चाहिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)