अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा, ‘अरे! बात बिगड़ जाती तो जूते खाने की नौबत आ जाती' या ‘बाल-बाल बचे नहीं तो जूते खाने पड़ते' या फिर ‘बेटा बहुत जूते खाओगे'. जूते खाना यानी किसी से बुरी तरह से पिटना. इस कहावत का शाब्दिक अर्थ समझें और सच में लोग जूतों को भोजन की तरह खाने लगे तो सोचिए जूते को किन-किन तरह से बनाया जाता. देश के पॉपुलर फूड ब्रान्ड्स भी जूतों को अपने-अपने तरीके से बनाते और ये मार्केट में फूड काउंटर्स पर बेचे जाते.
यहां देखें ये खाने वाले जूते!
हाल में एक एआई आर्टिस्ट ने इस कल्पना को कुछ तस्वीरों के जरिए पेश किया. इस आर्टिस्ट ने बताया कि अगर जूते सच में खाए जाते तो अलग-अलग फूड ब्रांड्स उसे कैसे बनाते. पोस्ट को कैप्शन देते हुए लिखा, ‘जूते खाना' अब असली हो गया...अगर लोकप्रिय खाद्य ब्रांड स्नीकर्स बनाएं तो क्या होगा?
तस्वीरों में सबसे पहले मैगी के नूडल्स वाले जूते नजर आते हैं, फिर पार्ले के बिस्किट्स वाले स्नीकर्स. इसके बाद अमूल का मिल्की शू, पेपर बोट का जूसी शू, लेज का क्रिस्पी चिप्स शू, कैडबरी का चॉकलेटी स्नीकर्स, किसान का टमाटर वाला लाल जूता, नेसकैफे के कॉफी सीड्स वाले स्नीकर्स, सब वे का बर्गर स्पेशल शू तो वहीं वाडीलाल का क्रीमी आइसक्रीम शू नजर आता है.
यूजर्स बोले- कमाल की क्रिएटिविटी है
सोशल मीडिया पर इस पोस्ट और इस कलाकारी को खूब पसंद किया जा रहा है. एक यूजर ने पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा, इसके बाद कोई कहे कि बेटा बहुत जूते खाओगे, तो मैं कहूंगा.. ओके.
दूसरे यूजर ने लिखा, भाई कमाल की क्रिएटिविटी है. तीसरे ने लिखा, किसान वाले सीरियल किलर जूते.
वहीं एक यूजर ने लिखा, लेज वाला सबसे हल्का है. एक अन्य ने लिखा, भाई अब तो लोग मांग कर जूते खाएंगे.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)