ज्वार का रस पीने से कौन सी बीमारी ठीक होती है? जानें क्या कहता है आयुर्वेद

Jwar Ka Juice: ज्वार के रस में सभी जरूरी विटामिन पाए जाते हैं. इसके सेवन से शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. तो चलिए जानते हैं घर पर कैसे करें तैयार.

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Jwar Ka Juice: सेहत के लिए वरदान है ज्वार का रस.

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनियमित-असंतुलित खान-पान ने लोगों की इम्यूनिटी को इतना कमजोर कर दिया है कि छोटी-छोटी बीमारियां भी जद में ले लेती हैं. डॉक्टर के पास बार-बार जाना और महंगी दवाइयों का सहारा लेना आम बात हो गई है. लेकिन प्रकृति ने हमें एक ऐसा सस्ता और प्रभावी उपाय दिया है जो न सिर्फ रोगों से बचाता है, बल्कि कई बीमारियों में भी राहत देता है वह है ज्वार का रस.  

आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में ज्वार के रस को 'हरा खून' कहा जाता है और सदियों से इसका उपयोग स्वास्थ्य सुधार के लिए किया जा रहा है. इसकी संरचना मानव रक्त से बहुत मिलती-जुलती है. इस पर कई रिसर्च हुए हैं और वैज्ञानिक मानते हैं कि यह कई असाध्य रोगों के इलाज में इस्तेमाल हो सकता है. उनके प्रयोगों में कई बीमारियों में आश्चर्यजनक लाभ देखा गया.

ज्वार के रस के फायदे- Jwar Ras Ke Fayde:

ज्वार के रस में सभी जरूरी विटामिन जैसे विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन के समेत खनिज और प्रोटीन भी प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं. नियमित सेवन से डायबिटीज, हृदय रोग, लिवर-किडनी की कमजोरी, गठिया, जोड़ों का दर्द, पथरी, अस्थमा, पीलिया, लकवा, त्वचा रोग, बालों का झड़ना, आंखों की कमजोरी, कब्ज, गैस, एलर्जी जैसे सैकड़ों रोगों में फायदा होता है.

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ज्वार के रस को कैसे करें तैयार- How To Prepare Jwa Ras?

खास बात यह है कि यह रस घर पर ही बेहद सस्ते में तैयार किया जा सकता है. इसके लिए रासायनिक खाद रहित मिट्टी में अच्छी क्वालिटी के गेहूं बोए जाते हैं. 8-10 दिन में 5-7 इंच ऊंचे हरे-हरे ज्वारे तैयार हो जाते हैं. इन्हें कैंची से काटकर तुरंत धोया जाता है और सिलबट्टे या जूसर से रस निकाला जाता है. ताजा रस ही ज्यादा फायदेमंद होता है, इसलिए 3 घंटे से ज्यादा पुराना रस नहीं पीना चाहिए.

ज्वार के रस में क्या नहीं डालना चाहिए- What Do ot Add Jwar Ras?

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि ज्वार का रस पीने से शुरुआत में कुछ लोगों को उबकाई या हल्की सर्दी हो सकती है, जो शरीर से जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने का संकेत है. स्वाद बेहतर करने के लिए शहद, अदरक या पान का पत्ता मिलाया जा सकता है, लेकिन नमक-नींबू कभी नहीं डालना चाहिए.

आयुर्वेदाचार्य यह भी बताते हैं कि दूध-मांस से कई गुना ज्यादा पौष्टिक इस रस को आसानी से कोई भी ले सकता है. नवजात शिशु को 5 बूंद से लेकर बुजुर्ग तक सभी उम्र के लोग इसका सेवन कर सकते हैं. रोज सुबह खाली पेट 100 से 200 एमएल रस पीने से कुछ ही हफ्तों में शरीर में नई ताजगी, चमक और कार्यक्षमता महसूस होने लगती है.

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नोटः 

'ज्वार का रस' कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है, लेकिन इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदाचार्य की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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