क्या आप जो खाते हैं वो सेफ है? अंडों में बैन केमिकल मिलने के बाद भारत की फूड सेफ्टी पर बड़ा सवाल

हाल ही में एक जांच में अंडों के एक बैच में ऐसे बैन केमिकल मिले जो DNA को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यह मामला बताता है कि भारत में फूड सेफ्टी सिस्टम को मजबूत करने की बेहद जरूरत है.

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FSSAI की रिपोर्ट दिखाती है कि 2022–23 में टेस्ट किए गए 1.77 लाख सैंपल में से करीब 25% सैंपल नॉन-कन्फॉर्मिंग मिले.

Nakli-asli food :  हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने लोगों के होश उड़ा दिए हैं और ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर खाएं तो खाएं क्या? खाने-पीने की बेसिक चीजों में मिलावट से लोग पूरी तरह से परेशान हो चुके हैं. हाल ही में देश की नामी कंपनी एगोज में मौजूद पोषक तत्वों की जांच की गई. जांच में दो खतरनाक केमिकल—नाइट्रोफ्यूरिन और नाइट्रोइमिडाजोल मिले, जिन पर पोल्ट्री में इस्तेमाल करने की सख्त पाबंदी है. बता दें कि ये 2 केमिकल पर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बैन हैं.

ये दोनों जीनो टॉक्सिक माने जाते हैं, यानी DNA को नुकसान पहुंचा सकते हैं और लंबी अवधि में कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं. हालांकि यह टेस्ट सिर्फ एक बैच पर हुआ और कंपनी ने इन दावों से इनकार करते हुए अपने अंडों को सुरक्षित बताया, लेकिन इस खुलासे ने भारत में फूड सेफ्टी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.

खाना बन रहा है सबसे बड़ा खतरा!

आजकल दूध में मिलावट, पनीर में स्टार्च, मासलों में टेक्सटाइल डाई, दालों पर टैल्क की कोटिंग, सब्जियों और फलों पर भारी पेस्टिसाइड यह किसी एक जगह की कहानी नहीं, बल्कि भारत की आम हकीकत है. FSSAI की रिपोर्ट दिखाती है कि 2022–23 में टेस्ट किए गए 1.77 लाख सैंपल में से करीब 25% सैंपल नॉन-कन्फॉर्मिंग मिले. यानी हर चार में एक खाने की चीज में कोई न कोई गड़बड़ी.

सिस्टम की कमजोरी

चिंता का मुद्दा यह भी है कि इन सभी बड़े ब्रैंड के जो स्कैंडल सामने आ रहे हैं उन्हें सरकारी एजेंसियां नहीं बल्कि यू-ट्यूब चैनल आदि लोगों के सामने ला रहे हैं. भारतीय फूड रेगुलेटर FSSAI पर आरोप है कि उसके पास कम स्टाफ, लिमिटेड लैब और कमजोर मॉनिटरिंग है. मिलावट की सजा भी इतनी कम है कि कई लोग खतरा उठाने से भी नहीं हिचकिचा रहे हैं.

किन चीजों की है जरूरत?

भारत के फूड सिस्टम को भरोसेमंद बनाने के लिए  3 चीजों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है-

  • सख्त और रैंडम सैंपलिंग, जो रूटीन और पब्लिक हो
  • बैन केमिकल्स पर ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी
  • मिलावट को क्रिमिनल ऑफेंस बनाना, सिर्फ़ जुर्माना नहीं

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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