Daily Alcohol Drinking Limit: आज की बिजी लाइफस्टाइल में तनाव, सामाजिक मेलजोल और मन बहलाने के बहाने शराब का सेवन एक सामान्य आदत बन गया है. कई लोग सोचते हैं कि रोज थोड़ा-सा पीना नुकसानदायक नहीं होता, बल्कि आराम देता है. लेकिन, सवाल यह है कि क्या वास्तव में शराब की कोई सुरक्षित मात्रा मौजूद है? और अगर है, तो कितनी? साथ ही, कितनी शराब पीने से नशा इतना गहरा हो जाता है कि दिमाग और शरीर अगले दिन तक भी उसका असर महसूस करते हैं? यही सारी बातें हम आज बेहद आसान भाषा में समझेंगे.
शराब आदत या जरूरत?
कई देशों में शराब को सोशल ड्रिंक यानी सामाजिक पेय माना जाता है. पार्टी, शादी, ऑफिस गेदरिंग, हर जगह इसका इस्तेमाल आम हो गया है. लोग इसे तनाव घटाने, नींद लाने या मूड बदलने का तरीका मानने लगे हैं. लेकिन, कम लोग जानते हैं कि शराब सीधे दिमाग, लिवर, दिल और नसों पर असर डालती है. यह असर किस तरह पड़ता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी मात्रा में और कितनी बार इसका सेवन करते हैं.
इसीलिए वैज्ञानिक और डॉक्टर लंबे समय से इस विषय पर शोध करते आए हैं कि शराब की कौन-सी मात्रा सुरक्षित कही जा सकती है. आइए यह समझते हैं.
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क्या शराब की कोई सुरक्षित सीमा है?
डॉक्टर ऋषभ शर्मा ने बताया कि शराब की कोई सेफ लिमिट नहीं होती है. सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि शराब की कोई पूरी तरह सुरक्षित मात्रा नहीं है. यानी, रोजाना शराब पीना शरीर के लिए जोखिम पैदा करता है. फिर भी, कुछ गाइडलाइंस के अनुसार मध्यम सेवन को अपेक्षाकृत कम हानिकारक माना गया है:
- पुरुषों के लिए: दिन में 2 पैग तक यानि लगभग 28 ग्राम अल्कोहल.
- महिलाओं के लिए: दिन में 1 पैग यानि 14 ग्राम तक.
शराब का प्रकार एक ड्रिंक (लगभग)
- बीयर 330 ml
- वाइन 150 ml
- व्हिस्की/रम 30 ml
इनसे ज्यादा सेवन करने पर शरीर अल्कोहल को समय पर पचाकर बाहर नहीं निकाल पाता और नुकसान शुरू हो जाते हैं.
कितना पीने से नशा पूरे दिन रहता है?
शराब का असर आपके वजन, उम्र, पेट खाली है या भरा और आपने किस प्रकार की शराब पी है, इन सब पर निर्भर करता है.
- 1 पैग = असर 1.5–3 घंटे
- 3–4 पैग = असर 6–8 घंटे
- 5 पैग या उससे ज्यादा = नशा पूरे दिन तक
- खाली पेट शराब पीना, एक ही बार में कई पैग लेना और तेज शराब (जैसे व्हिस्की) पीना, इनसे नशा और गहरा हो जाता है.
रोजाना शराब पीने के खतरे (Dangers of Drinking Alcohol Daily)
लिवर पर असर: शराब को सबसे ज्यादा नुकसान लिवर झेलता है. लगातार सेवन से फैटी लिवर, लिवर सूजन और सिरोसिस का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
दिमाग की गति धीमी: निर्णय लेने की क्षमता घटती है, ध्यान भटकता है और याददाश्त कमजोर होने लगती है.
दिल की बीमारियां: हल्का सेवन कभी-कभी लाभकारी बताया जाता है, मगर नियमित या ज्यादा मात्रा हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ाती है.
लत लगने का खतरा: शुरुआत में मजे के लिए पी गई शराब धीरे-धीरे मानसिक और शारीरिक निर्भरता पैदा कर देती है.
शराब पीना पूरी तरह व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से सबसे सुरक्षित विकल्प है, न पीना! अगर पीते भी हैं, तो रोज नहीं, और बेहद सीमित मात्रा में ही. क्योंकि मात्रा बढ़ते ही नशा लंबे समय तक रहता है और शरीर उसके बोझ तले धीरे-धीरे टूटने लगता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














