Chawal Kis Bimari Me Nahi Khana Chahiye: चावल भारत और दुनिया के कई हिस्सों में सबसे ज़्यादा खाया जाने वाला अनाज है. यह आसानी से पच जाता है और तुरंत ऊर्जा (Energy) देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ स्वास्थ्य समस्याओं और बीमारियों में चावल खाना आपके लिए फ़ायदेमंद नहीं होता? डॉक्टर और विशेषज्ञ कुछ खास तरह की बीमारियों में चावल या खास तरह के चावल खाने से मना करते हैं. अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपको चावल खाना चाहिए या नहीं, तो यह समझना ज़रूरी है कि चावल में क्या होता है और किन स्थितियों में यह आपके शरीर पर बुरा असर डाल सकता है.
किन बीमारियों में चावल नहीं खाना चाहिए या कम खाना चाहिए? | Chawal Kis Bimari Me Nahi Khana Chahiye
चावल मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) का स्रोत है. खासकर सफ़ेद चावल (White Rice) में फाइबर कम होता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index - GI) काफ़ी ऊँचा होता है. ऊँचा ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण यह रक्त शर्करा (Blood Sugar) को तेज़ी से बढ़ाता है. यही कारण है कि कुछ बीमारियों में इसे नियंत्रित करना ज़रूरी हो जाता है.
1. मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes)
यह सबसे प्रमुख बीमारी है जिसमें सफ़ेद चावल से परहेज़ करना चाहिए.
- कारण: सफ़ेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 70 से अधिक होता है. इसका मतलब है कि यह खाने के बाद बहुत तेज़ी से ग्लूकोज (Glucose)में बदल जाता है और रक्त शर्करा (Blood Sugar Level) को अचानक बढ़ा देता है.
- क्या करें: अगर आपको डायबिटीज है, तो सफ़ेद चावल की जगह ब्राउन राइस (Brown Rice), जंगली चावल (Wild Rice), या बाजरा (Millets) जैसे कम GI वाले अनाज खाने चाहिए, जिनमें फाइबर ज़्यादा होता है. डॉक्टर की सलाह पर ही चावल की मात्रा तय करें.
2. मोटापे की समस्या (Obesity) और वज़न कम करने की कोशिश
अगर आप वज़न कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो सफ़ेद चावल की मात्रा को सीमित करना ज़रूरी है.
- कारण: सफ़ेद चावल में कैलोरी ज़्यादा होती है और फाइबर कम होता है. फाइबर कम होने के कारण इसे खाने के बाद पेट जल्दी नहीं भरता, जिससे आप ज़्यादा खाना खा लेते हैं और वज़न बढ़ने लगता है.
- क्या करें: आप सफ़ेद चावल की जगह ब्राउन राइस खा सकते हैं, जिसमें फाइबर ज़्यादा होता है और यह देर तक पेट भरा रखता है. या चावल की मात्रा को नियंत्रित करें और उसके साथ सब्ज़ियां और प्रोटीन ज़्यादा लें.
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3. ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर (High Triglycerides)
ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार की वसा (Fat) होती है जो रक्त में पाई जाती है. इसका उच्च स्तर हृदय रोग (Heart Disease) के जोखिम को बढ़ाता है.
- कारण: ज़्यादा रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे सफ़ेद चावल) खाने से शरीर उन्हें फैट (वसा) में बदल देता है, जिससे ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ सकता है.
- क्या करें: अपने आहार में सफ़ेद चावल और अन्य रिफाइंड कार्ब्स की मात्रा कम करें और स्वस्थ वसा (Healthy Fats) और फाइबर वाले खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें.
4. पाचन तंत्र की कुछ समस्याएँ (Digestive Issues)
वैसे तो चावल हल्का होता है, लेकिन कुछ खास स्थितियों में यह परेशानी दे सकता है.
कारण: बहुत ज़्यादा चावलखाने से पाचन तंत्र पर भार पड़ सकता है, खासकर अगर आपका पाचन पहले से ही धीमा हो. हालांकि, डायरिया (Diarrhea) जैसी स्थिति में, डॉक्टर अक्सर सफ़ेद चावल का पानीपीने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह आसानी से पच जाता है और पेट को बांधता है. लेकिन क्रोनिक कब्ज़ (Chronic Constipation) में फाइबर वाले अनाज ज़्यादा बेहतर होते हैं.
5. आर्सेनिक विषाक्तता का खतरा (Risk of Arsenic Toxicity)
यह चावल खाने से होने वाली कोई सीधी बीमारी नहीं है, लेकिन यह एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता है.
- कारण: धान के खेत में पानी में मौजूद आर्सेनिक (Arsenic)चावल के दाने में जमा हो सकता है. लंबे समय तक आर्सेनिक युक्त चावल खाने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कैंसर, हृदय रोग और तंत्रिका संबंधी समस्याएं.
- क्या करें: चावल को खाने से पहले अच्छी तरह से धोना और ज़्यादा पानी में उबालना(जिससे पानी फेंक दिया जाए) आर्सेनिक के स्तर को कम करने में मदद करता है. बच्चों को आर्सेनिक युक्त चावल से बचाना ज़रूरी है.
क्या सफ़ेद चावल हमेशा बुरा है?
नहीं. सफ़ेद चावल को हमेशा बुरा नहीं कहा जा सकता. यह ग्लूटेन-मुक्त (Gluten-Free) होता है, और पेट खराब होने (डायरिया) या गैस्ट्रिक समस्याओं में यह आसानी से पच जाता है, जिससे यह ऊर्जा का त्वरित स्रोत बन जाता है. समस्या तब होती है जब इसे रोज़ाना बहुत बड़ी मात्रामें खाया जाता है और इसके साथ फाइबर, प्रोटीन और सब्ज़ियों का सेवन कम होता है.
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स्वस्थ विकल्प क्या हैं?
अगर आपको ऊपर बताई गई कोई भी समस्या है, तो आप सफ़ेद चावल की जगह इन विकल्पों को अपना सकते हैं:
ब्राउन राइस: इसमें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स ज़्यादा होते हैं और GI कम होता है.
क्विनोआ (Quinoa): यह प्रोटीन और फाइबर से भरपूर है.
बाजरा (Millets): जैसे ज्वार, रागी और कंगनी.
गेहूं (Whole Wheat) या जौ (Barley): इन्हें भी चावल की जगह खाने में शामिल किया जा सकता है.
चावल एक मुख्य आहार है, लेकिन अगर आपको डायबिटीज, मोटापा, या उच्च ट्राइग्लिसराइड्सकी समस्या है, तो सफ़ेद चावल का सेवन सीमित कर देना चाहिए और इसकी जगह ब्राउन राइसया अन्य फाइबर युक्त अनाजका सेवन बढ़ाना चाहिए. किसी भी आहार परिवर्तन से पहले डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) से सलाह लेना हमेशा सबसे अच्छा होता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














