Budhwar Vrat Puja: हिंदू धर्म में हर दिन किसी ना किसी भगवान को समर्पित है, जैसे सोमवार भगवान भोले नाथ को, मंगलवार हनुमान जी को, तो बुधवार गौरी पुत्र गणेश (Lord Ganesha) को. बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा जाती है. आपको बता दें कि बुधवार को भगवान गणेश के अलावा, बुध देव की भी पूजा की जाती है. कई लोग भगवान गणेश और बुध देव दोनों के लिए साथ में व्रत करते हैं तो कुछ लोग अलग-अलग व्रत का पालन करते हैं. मान्यता है कि बुधवार का व्रत करने से धन-धान्य में कमी नहीं रहती, व्यापार में वृद्धि होती है. माना जाता है कि गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है. तो चलिए जानते हैं कैसे करें बुधवार व्रत की शुरूआत, क्या हैं पूजा नियम और व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं.
बुधवार व्रत में क्या खाना चाहिए- What Should Be Eaten On Wednesday Fast:
बुधवार के दिन व्रत करने वालों को एक समय खाना चाहिए. वो एक समय दही, हरी मूंग दाल का हलवा या फिर हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन कर सकते हैं. व्रत के दौरान आप दूध, फल आदि का सेवन भी कर सकते हैं.
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बुधवार व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए- What Should Not Be Eaten During Wednesday Fast:
बुधवार व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. बुधवार व्रत में पान का सेवन भी नहीं किया जाता है.
कब से शुरू करें बुधवार व्रत- When To Start Wednesday Fast:
ज्योतिष के अनुसार अगर आप बुधवार व्रत को शुरू करना चाहते हैं, तो शुक्ल पक्ष यानी अमावस निकल जाने के बाद जो भी पहला बुधवार आए उस दिन से आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं. बुधवार व्रत की संख्या 21 या 45 की जाती है.
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बुधवार व्रत पूजा विधि- Budhwar Vrat Puja Vidhi:
बुधवार व्रत करते हैं तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई और स्नान आदि करके घर के ईशान कोण में मुंह करके भगवान गणेश और बुध देव की पूजा करें. दीपक जलाएं आरती करें. इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. भगवान गणेश को आप हलवा, बेसन के लड्डू या पंजीरी का भोग लगा सकते हैं.
बुधवार व्रत कथा- Budhwar Vrat Katha:
बुधवार व्रत में बुधवार कथा का पाठ आवश्यक माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था. वह बहुत धनवान था. मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर और गुणवान कन्या संगीता के साथ हुआ. शादी के बाद वो अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन पहुंच गया. इसपर कन्या के माता-पिता ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन किसी भी शुभ दिन के लिए यात्रा नहीं की जाती है. इसपर मधुसूदन ने कहा कि वो इन सब बातों पर विश्वास नहीं करता है और अपनी पत्नी को लेकर चला गया.
दोनों कुछ दूर ही चले थे कि उनकी बैलगाड़ी का पहिया टूट गया. वहां से दोनों ने पैदल यात्रा शुरु की, इस बीच उसकी पत्नी को प्यास लगी तो वो उसे एक पेड़ की छांव में बैठा कर पानी लेने चला गया और जब वापस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी के पास उसकी शक्ल जैसा ही एक व्यक्ति बैठा हुआ है. संगीता भी उसी शक्ल के दो लोग देखकर हैरान हो गई. इसके बाद उन दोनों व्यक्तियों में युद्ध होने लगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठ बोल रहा है. इस शोर से आसपास कई लोग जमा हो गए और उन्होनें सिपाही को बुलाकर उन्हें नगर के राजा के सामने ले गए.
राजा भी उन दोनों में अंतर नहीं कर पाया और संगीता भी नहीं पहचान पा रही थी कि उसका पति कौन है. राजा ने दोनों को ही कारावास में डाल देने की सजा सुनाई. सजा सुनकर मधुसूदन घबरा गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा कि उसे किन पापों की सजा मिल रही है. तभी आकाशवाणी होती है कि मधुसूदन तूने अपने सास-ससुर के कहने पर भी अपनी पत्नी को ले आया, ये उसी का नतीजा है. इसके बाद मधुसूदन माफी मांगता है कि बुधदेव मुझे माफ कर दें, अब कभी किसी शुभ काम के लिए इस दिन यात्रा नहीं करुंगा और हर बुधवार को व्रत भी किया करुंगा.
इस प्रार्थना के बाद बुध देव ने उसे माफ कर दिया. उनके ये कहते ही सामने खड़ा व्यक्ति गायब हो गया. राजा और सभी लोग इसे देखकर हैरान हो गए. इसके बाद राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मान के साथ विदा किया. कुछ दूरी पर ही उन्हें बैलगाड़ी मिल गई और दोनों अपने राज्य की तरफ चल दिए. इसके बाद मधुसूदन और उसकी पत्नी हर बुधवार को विधि के साथ व्रत करने लगे और इसके बाद दोनों सुख के साथ अपना जीवन यापन करने लगे.
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