Guru Nanak Jayanti 2021: आज 19 नवंबर को गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2021) मनाई जा रही है. हर साल दिवाली के पंद्रह दिनों बाद यानी कि कार्तिक की पूर्णिमा (kartik Purnima 2021) के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरु नानक जयंती को गुरुपर्व भी कहा जाता है. गुरु नानक देव सिखों के दस गुरुओं में से पहले गुरु होने के अलावा सिख धर्म के संस्थापक भी हैं, उन्हीं के जन्मदिवस को गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Birth Anniversary) के रूप में मनाया जाता है. गुरु नानक जयंती को देश विदेश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. परंपराओं के अनुसार, गुरुद्वारों में आयोजित गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का लंबा पाठ होता है, जिसे अखंड पाठ के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन गुरुद्वारों में सभी सिख और पंजाबी मिलकर गुरु देव की प्रार्थना करते हैं.
गुरु नानक जंयती के मौके पर बनाएं ये स्पेशल खीरः
गुरु नानक जंयती के मौके पर गुरुद्वारों में शाकाहारी भोजन बनाया जाता है. इसे विशेष रूप से स्वयंसेवकों द्वारा सांप्रदायिक रसोई में तैयार किया जाता है. लंगर में परोसे जाने वाले भोजन में आमतौर पर रोटी, चावल, दाल, छाछ या लस्सी के साथ सब्जियां शामिल होती हैं. गेहूं के आटे, चीनी और घी के साथ बनाया जाने वाला मीठा कड़ा प्रसाद खास माना जाता है. आप इस दिन ये खीर की रेसिपी को बना के इस दिन को और खास बना सकते हैं. बादाम गुलाब की खीर को बनाने के लिए बादाम, गुलाब जल, गुलाब की पंखुड्डियों, चावल, दूध और चीनी की आवश्यकता पड़ती है. पूरी रेसिपी नीचे देखें.
सामग्रीः
- दूध
- चावल
- ग्रेन शुगर
- गुलाब जल
- सुखी गुलाब की पंखुडियां
- बादाम
- बादाम सिल्वर
विधिः
- बादाम गुलाब की खीर बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में चावल को 20 मिनट के लिए पानी में भिगो दें.
- एक पैन में दूध को गर्म करें, इसके उबलने के बाद, इसकी आंच कम करें और दूध को आधा होने तक पकने दें.
- चावल का पानी निकालकर इसे दूध में डालकर धीमी आंच पर गाढ़ा होने तक पकाएं.
- बादाम डालकर इसे ठंडा होने के लिए एक तरफ रख दें.
- ठंडी हो जाने के बाद इसमें गुलाब जल डालकर मिक्स करें.
- सर्व करने से पहले फ्रिज में रखें या गर्म सर्व करें.
गुरु नानक देव का इतिहासः
गुरु नानक देव का जन्म साल 1469 में ननकाना साहिब में हुआ था. वह सिख धर्म के संस्थापक थे, यही वजह है कि उनके जन्म को एक दैवीय चमत्कार से कम नहीं माना जाता था. गुरु नानक देव जी के द्वारा सिख पंथ की स्थापना हुई. सिख का तात्पर्य है सीख या शिक्षा. साथ ही पंजाबी में सिख शब्द शिष्य के लिए भी प्रयोग होता है. गुरु नानक देव ने इस पंथ को स्थापित करते हुए जीवन के सार को फिर से लोगों के व्यवहार में लाने का काम किया. सिख ईश्वर के वे शिष्य हैं जो दस सिख गुरुओं के लेखन और शिक्षाओं का पालन करते हैं. जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने करतारपुर नामक एक नगर बसाया. यह अब पाकिस्तान में है. यहां उन्होंने एक बड़ी धर्मशाला भी बनवाई. इसी स्थान पर आश्वन कृष्ण 10, संवत् 1527 (22 सितंबर 1539 ईस्वी) को परमात्मा में नानक देव की ज्योति विलीन हो गई. उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए.
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