सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में आज राजद्रोह कानून (Sedition Law) के मामले की हुई. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजद्रोह कानून पर तब तक रोक रहे, जब तक इसका पुनरीक्षण हो.
- सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में आज राजद्रोह के सभी लंबित मामलों पर रोक लगाने का आदेश दिया और पुलिस और प्रशासन को केंद्र की समीक्षा पूरी होने तक कानून की इस धारा का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा, "यदि कोई नया मामला आता है, तो संबंधित पक्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों पर रोक लगा दी है. राजद्रोह में बंद लोग बेल के लिए कोर्ट जा सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि नई एफआईर होती है तो वह कोर्ट जा सकते हैं. इसका निपटारा जल्द से जल्द कोर्ट करें. चीफ जस्टीस ने कहा है कि केंद्र सरकार कानून पर पुनर्विचार करेगी .
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य 124ए के तहत कोई प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करेंगे.
- सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एसजी ने कहा कि हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है. हम एक संज्ञेय अपराध को नहीं रोक सकते जो कि किया जाएगा. लेकिन हमने एक प्रोपोजल तैयार किया है. एफआईआर तभी दर्ज हो, जब एसपी स्तर के अधिकारी या उससे ऊपर के अधिकारी को लगता है कि देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए.
- याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसका विरोध जताया. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, पूरे भारत में देशद्रोह के 800 से अधिक मामले दर्ज हैं. 13,000 लोग जेल में हैं.
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