"जिद्दी और अहंकारी..." नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान SC ने लगाई कड़ी फटकार, पढ़ें कोर्ट की 5 बड़ी टिप्पणी

Nupur Sharma: पैगंबर मोहम्मद (Prophet Row) पर विवादित टिप्पणी कर सुर्खियों में आईं बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई. देश भर के अलग-अलग कोर्ट और थानों में दर्ज मामलों को दिल्ली शिफ्ट करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने पूर्व बीजेपी नेता पर कई तीखी टिप्पणियां कीं.

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बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

पैगंबर मोहम्मद (Prophet Row) पर विवादित टिप्पणी कर सुर्खियों में आईं बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई. देश भर के अलग-अलग कोर्ट और थानों में दर्ज मामलों को दिल्ली शिफ्ट करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने पूर्व बीजेपी नेता पर कई तीखी टिप्पणियां कीं और उन्हें देश में हो रही हिंसात्मक घटनाओं का जिम्मेदार बताते हुए माफी मांगने को कहा. कोर्ट ने उनके वकील सीनियर लॉयर मनिंदर सिंह को भी फटकार लगाई.

कोर्ट की ओर से की गई पांच टिप्पणी
  1. नुपुर शर्मा की याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, " उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ रहा है या वे खुद सुरक्षा के लिए खतरा बन गई हैं? जिस तरह से उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को आग लगा दी है, देश में फिलहाल जो हो रहा है, उसके लिए यह महिला अकेली जिम्मेदार है. "
  2. जस्टिस ने कहा, " हमने उक्त डिबेट को ये समझने के लिए देखा कि कैसे उन्हें (नूपुर शर्मा) उकसाया गया. लेकिन उन्होंने जिस तरह से यह सब कहा और बाद में कहा कि वह एक वकील थीं, यह शर्मनाक है. उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए."
  3. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, " उनकी टिप्पणी उनके जिद्दी और अहंकारी चरित्र को दर्शाती है. उन्हें उन अदालतों (जहां-जहां भी शिकायत दर्ज हुए हैं) में जाना चाहिए. क्या हुआ अगर वो किसी पार्टी की प्रवक्ता हैं. वो सोचती हैं कि उनके पास सत्ता का बैकअप है और वो देश के कानून की परवाह किए बिना कोई भी बयान दे सकती हैं. " इस पर जब उनके वकील ने कहा कि वो केवल एंकर के सावल का जवाब दे रही थीं तो जस्टिस ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में एंकर पर भी केस दर्ज हो. 
  4. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, " लोकतंत्र में सभी को बोलने का अधिकार है. लोकतंत्र में घास को उगने का अधिकार है और गधे को खाने का. तो आपके पास उपाय है और आप इस मामले में संबंधित उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटा सकते हैं और कानून का हवाला दे सकते हैं." ये टिप्पणी जस्टिस ने तब की जब शर्मा के वकील कानून और पत्रकार अर्णव गोस्वामी के केस का हवाला देकर शर्मा का बचाव कर रहे थे. 
  5. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, " प्राथमिकियों का क्या हुआ? जब आप दूसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हैं तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन जब यह आपके खिलाफ होता है तो किसी ने भी आपको छूने की हिम्मत नहीं की." ये टिप्पणी जस्टिस ने तब की जब शर्मा के वकील विभिन्न थानों में दर्ज हुए एफआईआर के संबंध में जानकारी दी.

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