पहली बार वट सावित्री व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं न करें ये गलतियां, जानिए यहां

ज्योतिषाचार्य डॉ० अरविन्द मिश्र के अनुसार, 26 मई को अमावस्या तिथि का आरंभ दोपहर में 12:12 मिनट पर होगा और 27 तारीख को सुबह में 8:32 मिनट पर अमावस्या तिथि पर समाप्त हो जाएगा. उदयातिथि के अनुसार, यह व्रत 27 मई को रखा जाएगा. 

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मानसिक एवं शारीरिक रूप से कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे ये व्रत खण्डित हो. 

Vat savitri vrat 2025 : वट सावित्री (Vat Savitri Vrat 2025 Donts) का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस दिन विवाहित महिलाएं पति दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. मान्यतानुसार इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. पंचांग के अनुसार, इस साल वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि यानी 27 मई 2025 को रखा जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ० अरविन्द मिश्र से पहली बार वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाओं को किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए...

पीरियड्स में वट सावित्री का व्रत और पूजा करनी चाहिए या नहीं, जान‍िए शास्‍त्र क्‍या कहते हैं?

वट सावित्री व्रत में किन बातों का रखें ख्याल - What things should be kept in mind during Vat Savitri fast

  1. मानसिक एवं शारीरिक रूप से कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे ये व्रत खंडित हो. 
  2. खान पान संबंधी सावधानी बरतें.
  3. पूजा पूर्व या उत्तर मुख हो करके करें.
  4. काले और नीले वस्त्र न धारण करिए.
  5. सोलह श्रृंगार कर पति की दीर्घायु के लिए व्रत एवं पूजन में शामिल हों.
  6. व्रत का पारण मीठे भोजन फल आदि से करिए.
  7. प्याज लहसुन से बने भोजन का सेवन न करें. 
  8. इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए.
  9. इस दिन वट वृक्ष को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए.
  10. इस दिन लाल या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है.
  11. इस दिन सभी के साथ प्रेम और सम्मान से व्यवहार करना चाहिए. 

ज्योतिषाचार्य डॉ० अरविन्द मिश्र के अनुसार, 26 मई को अमावस्या तिथि का आरंभ दोपहर में 12:12 मिनट पर होगा और 27 तारीख को सुबह में 8:32 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी. उदयातिथि के अनुसार, यह व्रत 27 मई को रखा जाएगा. 

वट सावित्री व्रत महत्व - Vat savitri vrat significance 2025 

वट सावित्री का व्रत सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इससे वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत करने से देवी सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं.  इसलिए वट सावित्री का व्रत बहुत फलदायी माना गया है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

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