Rudraksha and bhadraksha: रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. यही वजह है कि लोग भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए गले में रुद्राक्ष धारण करते हैं. इसके साथ ही भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने के लिए भी रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं, आभूषण के रूप में भी रुद्राक्ष का इस्तेमाल किया जाता है. रुद्राक्ष मुख्य रूप से एकमुखी से लेकर 13 मुखी तक होता है, जिसका अलग-अलग महत्व है. कहा जाता है कि नियमित रुद्राक्ष धारण करने से हृदय रोग का खतरा टल जाता है. ऐसे में जानते हैं कि रुद्राक्ष और भद्राक्ष में क्या अंतर है और इसकी पहचान कैसे की जाती है.
भद्राक्ष क्या है | what is bhadraksh
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्राक्ष एक तरह का मोती होता है. जो कि भार में रुद्राक्ष की अपेक्षा हल्का और साइज में थोड़ा भिन्न होता है. यह रुद्राक्ष के निम्न कोटि का माना जाता है. भद्राक्ष देखने में अंडाकार होता है. रुद्राक्ष की तरह भद्राक्ष भारत में भी पाया जाता है.
रुद्राक्ष और भद्राक्ष में क्या है अंतर | difference between Rudraksha and Bhadraksh
यूं तो भद्राक्ष को भी रुद्राक्ष का ही एक अन्य रूप माना जाता है, लेकिन यह निम्न कोटि का होता है.
भद्राक्ष की गुणवत्ता रुद्राक्ष के कमतर होती है. भद्राक्ष में रुद्राक्ष की तरह चमक नहीं होती है. यह हल्का मलिन होती है.
भद्राक्ष अंडाकार होता है. वहीं रुद्राक्ष गोलाकार होता है.
भद्राक्ष में छेद नहीं होता है. जबकि रुद्राक्ष में बेलनाकार छेद होता है.
भद्राक्ष भारत में पाया जाता है जबकि रुद्राक्ष भारत और नेपाल दोनों जगह पाया जाता है.
भद्राक्ष वजन में रुद्राक्ष की तुलना में हल्का होता है.
रुद्राक्ष शार्प और उभरा हुआ होता है. वहीं भद्राक्ष पतला और कम उभरा होता है.
रुद्राक्ष का इस्तेमाल जाप और आभूषण दोनों के लिए किया जाता है. जबकि भद्राक्ष सिर्फ आभूषण में इस्तेमाल किया जाता है.
रुद्राक्ष को पानी में डालते ही वह डूब जाता है. जबकि भद्राक्ष को पानी में डालने पर वह धीरे-धीरे डूबता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
करगिल में गरज PM मोदी, कहा- सेनाएं दुश्मन को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना जानती हैं