Dussehra 2021 Date: आज है विजय दशमी, ये है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Dussehra 2021: दशहरे के दिन पूजन को लेकर देश के विभिन्न इलाकों और समुदायों में अलग-अलग तरह की परंपराएं है. शस्त्र का प्रयोग करने वालों के लिए इस दिन शस्त्र पूजन का बड़ा महत्व है. वहीं कई लोग इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं.

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Dussehra 2021: दशहरे पर बुराई के प्रतीक रावण के पुतले के दहन की परंपरा है.
नई द‍िल्‍ली:

अश्विन महीने की शुरुआत माता के नौ रूपों की भक्ति के नौ दिनों के साथ होती है. इसी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन दशहरे का त्योहार मनाया जाता है. इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंकेश रावण पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इस दिन को विजयादशमी कहा जाता है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है. दशहरे पर बुराई के प्रतीक रावण के पुतले के दहन की परंपरा है. साथ ही इस दिन शस्त्र पूजन का भी बड़ा महत्व है.

कब है दशहरा और क्या है शुभ मुहूर्त..?

अश्विन मास की शुरुआत नवरात्रि के साथ होती है. नौ दिन मां के विभिन्न रूपों की पूजा के बाद दशमी कि तिथि पर दशहरा आता है. इस साल यानि वर्ष 2021 को दशहरा 15 अक्टूबर (आज) को पड़ रहा है. दशमी की तिथि 14 अक्टूबर शाम 6.52 से आरंभ हो चुकी है, जो दूसरे दिन यानि आज शाम 6.02 तक रहेगी. इस दौरान दोपहर 2.02 से 2.48 बजे का समय पूजन का शुभ समय माना गया है.

दशहरे के दिन पूजन को लेकर देश के विभिन्न इलाकों और समुदायों में अलग-अलग तरह की परंपराएं है. शस्त्र का प्रयोग करने वालों के लिए इस दिन शस्त्र पूजन का बड़ा महत्व है. वहीं कई लोग इस दिन अपनी पुस्तकों, वाहन इत्यादि की भी पूजा करते हैं. इस दिन किसी नए काम को शुरू करना भी अच्छा समझा जाता है. नए सामान को खरीदने के लिए भी लोग इस दिन को चुनते हैं. इस दिन रावण दहन के पश्चात् घर लौटने पर महिलाएं पुरुषों की आरती उतारती है और टीका करती हैं.

क्या है पूजन विधि

  • सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहने जाते हैं
  • गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाई जाती है.
  • गाय के गोबर से नौ गोले व दो कटोरियां बनाई जाती है.
  • एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें.
  • प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित की जाती है.
  • यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो वहां भी ये सामग्री अर्पित करें.
  • अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें. गरीबों को भोजन कराएं.
  • रावण दहन के पश्चात् शमी वृक्ष की पत्ती जिसे सोना पत्ती भी कहा जाता हैं, अपने परिजनों को दें.
  • बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त करें.
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