Vijaya Ekadashi 2024: पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में विजया एकादशी का व्रत रखा जाता है. मान्यतानुसार जो भक्त विजया एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें अपने दुश्मनों पर जीत मिल जाती है. एकादशी की तिथि की बात करें तो इस साल 6 मार्च, बुधवार के दिन विजया एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. माना जाता है कि एकादशी पर पूरे मनोभाव से श्रीहरि (Lord Vishnu) की पूजा की जाए तो घर-परिवार में खुशहाली आती है और सुख-समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं. वहीं, एकादशी पर तुलसी के पत्तों को भी पूजा में सम्मिलित करना अत्यधिक शुभ होता है. हालांकि, इस दिन तुलसी (Tulsi) से जुड़ी बड़ी गलती को करने से बचना अत्यधिक आवश्यक होता है.
विजया एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त | Vijaya Ekadashi Puja Shubh Muhurt
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 6 मार्च, बुधवार सुबह 6 बजकर 30 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 7 मार्च, गुरुवार सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते उदया तिथि के अनुसार, विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च के दिन ही रखा जा रहा है. वैष्णव संप्रदाय वाले 7 मार्च के दिन विजया एकादशी का व्रत रखेंगे.
पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो एकादशी पर विष्णु पूजा (Vishnu Puja) का समय सुबह 6:41 से सुबह 9:37 के बीच है. विजया एकादशी के व्रत का पारण 7 मार्च के दिन किया जाएगा.
एकादशी के दिन तुलसी से जुड़ी कुछ गलतियों को करने से खासा परहेज करना चाहिए. पहली गलती तो यही है कि भक्त एकादशी पर तुलसी को जल अर्पित कर देते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एकादशी पर तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. ऐसे में तुलसी पर जल अर्पित करने पर तुलसी माता (Tulsi Mata) का व्रत टूट सकता है.
तुलसी माता को भगवान विष्णु की प्रिय कहा जाता है और इसीलिए विष्णु पूजा में तुलसी की पत्तियां शामिल करते हैं. लेकिन, एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेने चाहिए, एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)