Vinayak Chaturthi 2023 : आज है वैशाख विनायक गणेश चतुर्थी, यहां जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Vinayak Chaturthi puja vidhi : इस दिन गौरी पुत्र गणेश की अराधना करने से बौद्धिक क्षमता तेज होती है, साथ ही नौकरी और व्यापार में आ रही बाधाओं को बप्पा दूर कर देते हैं. ऐसे में चलिए जान लेते हैं इस महत्वपूर्ण व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है.

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Ganesha Chaturthi 2023 : चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.01 मिनट से दोपहर 01.38 मिनट तक है.

Vinayak Chaturthi 2023 : अप्रैल की 23 तारीख दिन रविवार को यानी आज वैशाख माह की विनायक गणेश चतुर्थी व्रत है. इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. यह उपवास बहुत ही फलदायी होता है. इस व्रत के करने से घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है. इस दिन गौरी पुत्र गणेश की अराधना करने से बौद्धिक क्षमता तेज होती है, साथ ही नौकरी और व्यापार में आ रही बाधाओं को बप्पा दूर कर देते हैं. ऐसे में चलिए जान लेते हैं इस महत्वपूर्ण व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Vinayak Chaturthi puja vidhi) क्या है.

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विनायक गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

वैशाख शुक्ल चतुर्थी तिथि 23 अप्रैल 2023 दिन रविवार को सुबह 07.47 मिनट से अगले दिन यानी 24 अप्रैल 2023, सोमवार को 08.24 मिनट तक रहेगी. चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.01 मिनट से दोपहर 01.38 मिनट तक है. कुल अवधि पूजा करने की 2 घण्टे 37 मिनट है. 

विनायक चतुर्थी पूजा विधि | Vinayak Chaturthi puja vidhi

जो लोग विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं वे इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-शौच आदि कर्म से निवृत हो जाएं. इसके बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करके सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन भगवान सूर्य को जल देने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है. विनायक चतुर्थी के दिन मंदिर में भगवान गणेश के निमित्त एक जटा वाला नारियल जरूर लेकर जाएं. इसके साथ ही गणपति को भोग मोदक का लगाएं. बप्पा को दूर्वा और गुलाब अर्पित करें और ओम् गं गणपतये नमः का कम से कम 108 बार जाप अवश्य करें. भगवान को धूप, दीप भी अर्पित करें. पूजन के अंत में आरती जरूर करें. 

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भगवान गणेश के नामों का जाप

गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।।
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।
विश्वं तस्य भवे नित्यं न च विघ्नमं भवेद् क्वचिद्।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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