Shiv puja Vidhi : कहते हैं देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना सबसे आसान है. अगर शिवलिंग पर केवल जल ही अर्पित कर दिया जाए, तो इससे भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों के ऊपर असीम कृपा बरसाते हैं. लेकिन अक्सर लोगों का सवाल रहता है कि शिवलिंग पर हमें किस तरह से जल चढ़ाना चाहिए? तो अगर शिवलिंग पर आप सीधे जाकर जल अर्पित करते हैं, तो ऐसा करना बंद कर दें, क्योंकि हम आपको बताते हैं वो तीन जगह जहां पर शिवलिंग में आपको सबसे पहले कहां स्पर्श करना चाहिए और उसके बाद ही शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए.
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शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले यहां चढ़ाएं जल
शिवलिंग में केवल भगवान शिव का वास नहीं होता, बल्कि इसमें उनकी धर्मपत्नी पार्वती माता के साथ ही उनके दोनों पुत्र गणेश जी, कार्तिकेय जी और उनकी पुत्री अशोक सुंदरी भी विराजित हैं. ऐसे में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले अपने हाथों से शिवलिंग के आगे के हिस्से में बने दाएं और बाएं स्थान को छुएं. कहते हैं यहां पर उनके पुत्र गणेश भगवान और कार्तिकेय भगवान विराजमान होते हैं, यहां जल चढ़ाने के बाद 5 से 7 बार अपने हाथों से इसे दबाना चाहिए, जैसे आप किसी के हाथ पैर दबा रहे हो. इस दौरान श्री शिवाय: नमस्तुभ्यं' या ऊ नम शिवाय: मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है और अगर बच्चे को कोई बीमारी है तो वो भी दूर होती है.
दूसरा स्थान
शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय जहां से जल प्रवाहित होता है यानी कि जो बीच का स्थान होता है वो शिवजी की पुत्री अशोक सुंदरी का होता है. यहां पर बेलपत्र को छुआ कर शिवलिंग पर चढ़ाएं, इसके बाद इस स्थान को स्पर्श करें, जल अर्पित करें और अपनी मनोकामना भगवान शिव के सामने प्रकट करें. ऐसा करने से विवाह में आने वाली अड़चन दूर होती है, साथ ही मांगलिक दोष से भी छुटकारा मिलता है.
तीसरा स्थान
शिवलिंग के चारों ओर बने गोल स्थान पर माता पार्वती विराजमान होती हैं, अपने हाथों से इस स्थान को स्पर्श करने के बाद यहां जल अर्पित करें. इससे भोलेनाथ हर बीमारी को दूर करने में आपकी मदद करते हैं. इस स्थान को दबाने से व्यक्ति को गंभीर से गंभीर बीमारी से निजात मिलती है, इन तीनों जगह को छूने के बाद और जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)