किन 2 ग्रहों की स्थिति से निर्धारित होता है महाकुंभ का स्थान, जानिए एक जगह पर 12 साल बाद ही क्यों होता है दोबारा आयोजन

Maha Kumbh: प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन वह चार स्थान हैं जहां 12 साल के अंतराल पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है. 2 ग्रहों के योग से यह तय किया जाता है कि कुंभ मेला इन चार में किस एक जगह पर आयोजित किया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
महाकुंभ की अत्यधिक धार्मिक मान्यता होती है.

Mahak Kumbh 2025: कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है जहां देश के कोने-कोने से आए साधु-संत का जमावड़ा लगता है. हिंदू धर्म में यह खास मेला काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. हर 12 सालों में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. अगले साल यानी 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित किया जाएगा जिसकी तैयारियां अब अंतिम चरण पर पहुंच चुकी हैं. इस मेले का आयोजन भारत की पवित्र नदियों के किनारे किया जाता है. साधु-संतों के अलावा हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले देश-विदेश के लोग पावन स्नान के लिए महाकुंभ मेले (Maha Kumbh Mela) में शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है. प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन वह चार स्थान हैं जहां 12 साल के अंतराल पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है. 2 ग्रहों के योग से यह तय किया जाता है कि कुंभ मेला इन चार में किस एक जगह पर आयोजित किया जाएगा.

Maha Kumbh 2025: 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होगा महाकुंभ, जानिए इस बार मेले में क्या-क्या है खास

कैसे तय होता है स्थान

यह तो लगभग सभी को पता है कि हर 12 साल के बाद महाकुंभ मेला आयोजित होता है. साथ ही, इसका आयोजन सिर्फ चार पवित्र जगहों पर ही होता है जिनमें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन शामिल हैं. लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि आखिर यह तय कैसे किया जाता है कि इन चारों में से किस बार किस जगह पर मेला आयोजित होगा. दरअसल, इसके लिए 2 ग्रहों (Planets) की स्थिति को देखा जाता है और उसी के मुताबिक महाकुंभ मेले का स्थान निर्धारित किया जाता है. देवताओं के गुरु बृहस्पति और सूर्य ग्रह की स्थिति पर महाकुंभ मेले का स्थान निर्धारित होता है.

प्रयागराज महाकुंभ

ज्योतिषीय गणना के आधार पर सूर्य और बृहस्पति ग्रह की स्थिति के मुताबिक महाकुंभ मेले का स्थान निर्धारित किया जाता है. जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में होते हैं और उसी समय सूर्य राशि मकर राशि में गोचर करते हैं तो महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है. साल 2025 में कुंभ का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है.

हरिद्वार महाकुंभ

जब बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में होते हैं और सूर्य ग्रह मेष राशि में गोचर करते हैं तो महाकुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार (Haridwar) में किया जाता है. ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, 2033 में महाकुंभ का आयोजन हरिद्वार में होगा.

नासिक महाकुंभ

जब बृहस्पति ग्रह के साथ-साथ सूर्य ग्रह भी सिंह राशि में ही विराजमान होते हैं तो उस स्थिति में महाकुंभ नासिक में आयोजित किया जाता है. ग्रहों की स्थिति के आधार पर ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, 2027 में महाकुंभ मेला नासिक में आयोजित किया जाएगा.

उज्जैन महाकुंभ

जब सूर्य ग्रह मेष राशि में विराजमान होते हैं और गुरु बृहस्पति सिंह राशि में गोचर करते हैं तो महाकुंभ मेला के आयोजन के लिए उज्जैन को चुना जाता है. ग्रहों की स्थिति की गणना के आधार पर उज्जैन में 2028 में महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा.

Advertisement
एक जगह पर 12 साल बाद क्यों होता है महाकुंभ?

पौराणिक कथाओं पर आधारित मान्यता के मुताबिक, देवताओं का 12 दिन पृथ्वी लोक के एक साल के बराबर होता है. देवताओं के गुरु माने जाने वाले बृहस्पति हर साल राशि बदलते हैं और इस तरह उन्हें एक ही राशि में दोबारा आने में पूरे 12 साल का वक्त लगता है. इसी वजह से एक ही स्थान पर महाकुंभ मेले का आयोजन पूरे 12 साल बाद होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Syed Suhail: Yogi की खलबली, जेल में 'बाहुबली'! | Bharat Ki Baat Batata Hoon | Dularchand | Mokama
Topics mentioned in this article