Lord Krishna Temple: सनातन धर्म में श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है. यूं तो श्रीकृष्ण को द्वारकाधीश, कान्हा, मुरली मनोहर जैसे सैंकड़ों नामों से पुकारा जाता है लेकिन मध्य प्रदेश के एक मंदिर में भगवान क़ृष्ण को दाऊजी कहकर बुलाते हैं. मध्य प्रदेश के मुरैना में दाउजी का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है. मान्यता है कि यहां भक्तों को दर्शन देने के लिए साल में एक बार भगवान कृष्ण द्वारिकाधीश (Dwarkadhish) बनकर पधारते हैं और मंदिर में साढ़े तीन दिनों के लिए निवास करते हैं. चलिए इस खास मंदिर के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं.
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इस मंदिर में हर साल आते हैं श्रीकृष्ण
मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित दाऊजी का मंदिर (Dauji Mandir) यूं तो पूरे साल भक्तों की भीड़ से भरा रहता है लेकिन दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के बाद के तीन दिन यहां बहुत ही खास होते हैं. मान्यता है कि गोकुल में होने वाली गोवर्धन पूजा के लिए जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका से गोकुल आते हैं तो इस पर्व के बाद वो सीधा मुरैना के दाऊजी मंदिर में जाते हैं. यहां वे 3 दिनों तक मंदिर में मेहमानी का लुत्फ उठाते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इसलिए हर साल गोवर्धन पूजा के बाद के साढ़े तीन दिन यहां उत्सव होता है और लाखों लोग इस मंदिर में द्वारकाधीश महाराज के दर्शन करने आते हैं. खास बात यह है कि इन साढ़े तीन दिनों में गुजरात का द्वारकाधीश मंदिर बंद रहता है. कहा जाता है कि करीब 300 साल से ज्यादा लंबे समय से यहां साढ़े तीन दिनों के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मेहमानी की प्रथा चली आ रही है.
जिस दौरान इस मंदिर में भगवान की मेहमानी होती है, उस दौरान गांव में लीला मेला (Leela Mela) लगता है. इस मेले में आस-पास के सौ गांवों के लोग आते हैं और उस दौरान मंदिर में खास पूजा अर्चना होती है. इस लीला मेले में साढ़े तीन दिन भगवान द्वारकाधीश की रथ पर शानदार सवारी निकाली जाती है. कहते हैं कि मुरैना गांव में बहुत सारे मोर हैं और यहां के मोरपंख बहुत विख्यात हैं. कहा जाता है कि मुरैना गांव के महंत गोपराम को सैकड़ों साल पहले भगवान कृष्ण ने सपने में दर्शन दिए थे और कहा था कि महंत को अपने साथ ब्रह्मलोक लेकर जाएंगे. लेकिन, महंत ने कहा कि मेरे ऐसे जाने पर गांव में कोई विश्वास नहीं करेगा कि आप खुद मुझे लेने आए थे. तब भगवान ने उनको वादा किया कि दीवाली के बाद पड़वा से लेकर चौथ तक वो हर साल दाऊजी के मंदिर में रहा करेंगे. तब से यहां हर साल मान्यतानुसार साढ़े तीन दिन द्वारकाधीश की मेहमानी के साथ लीला मेला चलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)