शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या कब लगती है, क्या पड़ता है राशियों पर प्रभाव और इससे कैसे पाएं पार, बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य...

आइए ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से समझते हैं आखिर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का क्या है खेल...

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Shani dosh upay : प्रत्येक मंगलवार को प्रातः सूर्योदय के समय स्नान के बाद 105 बार 'ॐ हनुमते नमः; मंत्र का जाप करें.

Shani sadhesati aur dhaiya kya hai : ज्योतिष शास्त्र में शनि देव का विशेष स्थान है. इन्हें कर्मफलदाता और क्रूर ग्रह के नाम से जाना जाता है. शनि ग्रह की गति अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत धीमी होती है, जिसके कारण इनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर लंबे समय तक रहता है. आपको बता दें कि शनि ढाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं. इनके गोचर से किसी राशि की साढ़ेसाती तो किसी की ढैय्या शुरू हो जाती है. वहीं, कुछ राशियों की साढ़ेसाती और ढैय्या समाप्त भी हो जाती है. ऐसे में आइए ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से समझते हैं आखिर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का क्या है खेल...

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शनि की साढे़साती कब लगती है

पंडित अरविंद मिश्र के अनुसार सभी 9 ग्रह का गोचर मनुष्य के जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं. लेकिन शनि देव का प्रभाव अन्य की तुलना में ज्यादा होता है. जब शनि देव किसी व्यक्ति की जन्म राशि से बारहवें, प्रथम और दूसरे भाव में गोचर करते हैं, तो उन राशि वाले जातकों की साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाती है. ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र बताते हैं कि शास्त्रों में साढ़ेसाती को 'कल्याणी' कहा गया है.

शनि की ढैय्या कब लगती है 

जब शनि देव का गोचर जन्म राशि से चतुर्थ और आठवें में भाव में होता है, तब उन राशि वालों की ढैय्या शुरू हो जाती है. इसे 'लघु कल्याणी ढैया' कहते है.  इसे 'कंटकी' भी कहते हैं. 

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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का क्या है प्रभाव

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या व्यवसाय में बाधा उत्पन्न करती है. यह व्यक्ति को स्थान हानि, मानहानि, अवनति, रोग-शोक, शरीर सुख में कमी, कोर्ट कचहरी के मामलों में उलझाता है. इसके अलावा भी अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ता है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या परिवार में अशांति का कारण बनती है, साथ ही आपको व्यर्थ के कार्य में संलग्न करती है . 

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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का उपाय

शनि की साढ़े साती के समय जन्म पत्रिका में शनि अनिष्ट कारक हो या उसका अशुभ गोचर चल रहा हो तो आपको शनि की पूजा अर्चना, शनि स्त्रोत पाठ, मंत्र जाप, और दान करना चाहिए.

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आपको बता दें कि हनुमान जी ने शनि के कष्टों को दूर किया था. ऐसे में आप शनि देव को प्रसन्न करने के लिए बजरंगबली की उपासना कर सकते हैं, इससे सारे कष्ट दूर होते हैं.

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हनुमान जी की पूजा से न सिर्फ शनि से उत्पन्न कष्टों का निवारण होता है, बल्कि शनि की सूर्य, मंगल के साथ शत्रुता के कारण उत्पन्न सारे कष्ट भी दूर हो जाते हैं.

कैसे करें हनुमान जी को प्रसन्न

प्रत्येक मंगलवार को प्रातः सूर्योदय के समय स्नान के बाद 105 बार 'ॐ हनुमते नमः; मंत्र का जाप करें.

लाल धागे में सिद्ध श्री हनुमान यंत्र धारण करें और प्रत्येक मंगलवार को इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी करिए.

शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से प्रारंभ कर लगातार 10 मंगलवार तक श्री हनुमान को गुड़ का भोग लगाएं. 

प्रत्येक मंगलवार को चमेली का तेल और सिंदूर हनुमान जी को अर्पित करें और उन्हें चोला चढ़ाएं.

शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से प्रत्येक मंगलवार को प्रातः हनुमान चालीसा का पाठ करिए.

किस राशि पर साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है

वर्तमान समय में कुंभ राशि, मीन, मेष राशि वालों की साढ़े साती चल रही है. वहीं, धनु राशि वालों की चतुर्थ स्थान की ढैया चल रही है और सिंह राशि वालों की अष्टम स्थान की ढैय्या.

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