Shani Gochar: ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के मुताबिक शनि का गोचर (Shani Gochar) बेहद खास महत्व है. शनि देव (Shani Dev) जब राशि परिवर्तन करते हैं तो उसका असर सभी राशियों पर पड़ता है. ज्योतिष के जानकार बताते हैं जब शनि देव राशि परिवर्तन (Shani Rashi Parivartan) करते हैं, तो कुछ राशियों पर शनि की ढैय्या (Shani Shaiya) का प्रभाव शुरू हो जाता है. वहीं कुछ राशियों से शनि की ढैय्या का प्रभाव खत्म हो जाता है. शनि देव 12 अप्रैल को वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं. जिससे कुछ राशियों के जातक शनि की ढैय्या के प्रभाव से मुक्त होने वाले हैं. आइए जानते हैं उन राशियों के बारे में.
शनि देव के वक्री होने से इन राशियों को मिल सकती है ढैय्या से मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक बीते 29 अप्रैल को शनि देव कुंभ राशि में प्रवेश कर गए हैं. शनि देव के इस राशि में प्रवेश करते ही मिथुन और तुला राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल गई थी. जबकि कर्क और वश्चिक राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरू हो गया था. लेकिन 12 जुलाई को शनि देव के मकर राशि में गोचर करते ही इन राशियों से शनि की ढैय्या का प्रभाव खत्म हो जाएगा. यानि इन राशियों के लोग शनि ढैय्या से मुक्त हो जाएंगे. जिससे वृश्चिक और कर्क राशियों का सारे काम बनते हुए दिखाई देंगे. बिजनेस में तरक्की का योग बनेगा. इसके अलावा जमीन-जायदाद के कामों में भी सफलता मिल सकती है.
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शनि की साढेसाती और ढैय्या का महत्व | Significance of Shani Sade Sati and Dhaiya
ज्योतिष शास्त्र में शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती का खास महत्व है. ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में 3 बार साढ़ेसाती आती है. जबकि ढैय्या का प्रभाव ढाई साल तक रहता है. इस दौरान व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्टों से गुजरना पड़ता है. कर्म फलदाता होने के कारण शनि देव प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. कहा जाता है कि शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के दौरान किसी गरीब या असहाय को सताना नहीं चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से शनि देव नाराज हो जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)