Sawan vrat 2024 : सावन के दूसरे मंगला गौरी व्रत की तिथि, सामग्री और पूजा विधि यहां जानिए

आखिरी व्रत के बाद महिलाओं को माता गौरी की तस्वीर या मूर्ति को नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए. कहा जाता है कि यह व्रत लगातार 5 साल तक करना चाहिए.

Advertisement
Read Time: 3 mins
M

Second Mangla gauri vrat 2024 : श्रावण भगवान शिव का प्रिय महीना है. इस पूरे महीने में भगवान शिव जिन्हें रुद्र के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा की जाती है और भक्त व्रत भी रखते हैं. सावन महीने का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को था अब महिलाएं दूसरे व्रत की तैयारी में जुट गई हैं. ऐसा माना जाता है कि माता गौरी यानी माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सभी तरह के व्रत किए थे. इनमें से श्रावण मास में किया जाने वाला मंगला गौरी व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है. यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की सुरक्षा, लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए रखती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए रखती हैं. 

Sawan Shivratri 2024 : सावन के महीने में कब मनाई जाएगी भोलेनाथ की प्रिय शिवरात्रि

मंगला गौरी व्रत तिथि 2024

पंचांग के अनुसार इस बार दूसरा मंगला गौरी व्रत 30 जुलाई को रखा जाएगा. 

मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री

मंगला गौरी व्रत शुरू करने से पहले सावन के मंगलवार को सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करके पूरे महीने मंगला गौरी व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए. व्रत रखने से पहले फल, फूल, सुपारी, पान, मेहंदी, सोलह श्रृंगार की वस्तुएं, अनाज आदि रखना चाहिए. कहा जाता है कि पूजन सामग्री में हर चीज 16 की संख्या में होनी चाहिए.

मंगला गौरी व्रत विधि 2024

जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए, हो सके तो लाल कपड़े. फिर पूजा स्थल की सफाई करके भगवान शिव, भगवान गणेश और माता गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए. फिर महिलाओं को अपने पति की रक्षा और लंबी आयु के लिए पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए.

Advertisement

पूजा अनुष्ठान के एक भाग के रूप में, महिलाओं को एक साफ थाली पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चावल की 9 ढेरियां बनानी चाहिए. यह नवग्रह का प्रतीक है. इसके बाद गेहूं की 16 ढेरियां बनानी चाहिए. यह मातृका का प्रतीक है. फिर कलश को दूसरी तरफ रखा जाता है. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. फिर उन्हें फल और नैवेद्य के रूप में भोग लगाया जाता है. इसके बाद नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए.इसके बाद गेहूं के ढेर के रूप में बनाई गई 16 मातृकाओं की पूजा करनी चाहिए.फिर माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल, दूध और दही के मिश्रण में डुबोया जाता है. मां को कुमकुम, हल्दी, सिंदूर और मेंहदी का भोग लगाया जाता है और भगवान शिव को भोग लगाया जाता है. पूजा के बाद महिलाओं को मंगला गौरी व्रत की कथा सुननी चाहिए.

Advertisement

आखिरी व्रत के बाद महिलाओं को माता गौरी की तस्वीर या मूर्ति को नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए. कहा जाता है कि यह व्रत लगातार 5 साल तक करना चाहिए.

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Jammu Kashmir में विधानसभा चुनाव की Voting से कहां बढ़ी हलचल
Topics mentioned in this article