आज पौष माह (Paush Month) के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है. वैसे भी आज बुधवार है, इस दिन गणेश जी की पूजा होती है. ऐसे में आज संकष्टी व्रत का सुंदर संयोग है. संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी (Lord Ganesha) की पूजा विधि-विधान से करते हैं और संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा का श्रवण करते हैं. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. साल की अंतिम चतुर्थी बुधवार के दिन पड़ने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है.
मान्यताओं के अनुसार, बुधवार का दिन भगवान श्री गणेश को समर्पित है. इस दिन गौरी गणेश जी की पूजा के बाद रात को चंद्रमा को जल अर्पित करते हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है. कहते हैं संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) के दिन गणपति महाराज के पूजन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है. आइए बताते हैं संकष्टी चतुर्थी के पूजन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) और पूजा विधि.
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त | Shubh Muhurat Of Sankashti Chaturthi 2021
चतुर्थी तिथि: 22 दिसंबर, 2021 बुधवार.
पूजा मुहूर्त: रात 08 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 15 मिनट तक (अमृत काल).
चंद्र दर्शन मुहूर्त: रात 08 बजकर 30 मिनट से रात 09 बजकर 30 मिनट तक.
संकष्टी चतुर्थी 2021 के दिन चंद्रोदय समय | Sankashti Chaturthi Moonrise Time
22 दिसंबर को होने वाली संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा रात 08:12 बजे उदय होगा. इस दिन चंद्र देव का दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन बिना चंद्र दर्शन के ये व्रत अधूरा माना जाता है. इस दिन गौरी गणेश के पूजन के बाद रात को चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है, इसके बाद ही पारण किया जाता है. मान्यता के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भक्तों पर भगवान श्री गणेश की विशेष कृपा बनी रहती है, इसके साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि | Sankashti Chaturthi Puja Vidhi
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.
स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा घर अच्छी तरह साफ करें.
इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है.
वहीं शुभ मुहूर्त पर गणपति जी की पूजा करें और उनका ध्यान करें.
गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें.
इस दौरान गणपति महाराज को फल-फूल चढ़ाएं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं.
भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं.
वहीं पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल तांबे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें.
गणेश जी को भोग भी लगाएं, आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं.
इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है, शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें.
पूजा के दौरान उनकी कथा पढ़ें.
पूजा के आखिर में आरती उतारे व मंत्रों का उच्चारण करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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