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Sakat Chauth: कब है सकट चौथ, जानिए किन-किन नामों से जाना जाता है यह व्रत

माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ संकष्टी चतुर्थी, वक्रकुंडी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ के नाम से जाना जाता है. देश के अलग-अल​ग हिस्सों में सकट चौथ को अलग-अलग नामों से जाना और पूजा जाता है, ​लेकिन इन सभी का उद्देश्य एक ही होता है. आइए जानते हैं सकट चौथ को किन-किना नामों से जाना जाता है और इनका महत्व क्या है.

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Sakat Chauth: जानें और किन नामों से जाना जाता है सकट चौथ का व्रत
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में माघ माह (Magh Month) में आने वाली सकट चौथ (Sakat Chauth Vrat) का खास महत्व है. माघ मास (Magh Month) की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ (Sakat Chauth) संकष्टी चतुर्थी, वक्रकुंडी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ के नाम से जाना जाता है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने रखा जाता है, लेकिन माघ महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी की महत्व सबसे अधिक है. मान्यता है कि इस दिन अगर माताएं निर्जला व्रत का पालन करते हुए पूरी श्रद्धा से गणेश भगवान का पूजन करती हैं, तो उनकी संतान हमेशा निरोग रहती है.

कहते हैं कि विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की कृपा से कार्यों में सफलता और जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है. बता दें कि देश के अलग-अल​ग हिस्सों में सकट चौथ को अलग-अलग नामों से जाना और पूजा जाता है, ​लेकिन इन सभी का उद्देश्य एक ही होता है. आइए जानते हैं सकट चौथ के अलावा देशभर में इसे और किन-किना नामों से जाना जाता है और इनका महत्व क्या है.

सकट चौथ का महत्व | Significance Of Sakat Chauth

सकट चौथ को सभी संकष्टी चतुर्थी व्रतों में महत्वपूर्ण माना जाता है. इस चौथ के दिन भगवान गौरी गणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. मान्यता है कि जो माताएं सकट चौथ के दिन निर्जला व्रत रखते हुए श्री गणेश भगवान की पूजा करती हैं, उनकी संतान हमेशा निरोग रहती है. यह व्रत सुख, सौभाग्य को बढ़ाने के साथ ही संकटों को दूर करने वाला है, इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन भगवान गणेश की श्रद्धा भाव के साथ पूजा-अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. 

सकट चौथ का महत्व

इस व्रत को करने से गणेश जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और वे कार्यों को बिना बाधा के सफल करते हैं. संतान और परिवार की सुरक्षा करते हैं.

इन नामों से भी जाना जाता है सकट चौथ कै व्रत

  • संकटा चौथ.
  • माघी चौथ.
  • संकटा चौथ.
  • लंबोदर संकष्टी चतुर्थी.
  • तिलकुटा चौथ.

संकटा चौथ

शास्त्रों के अनुसार सकट चौथ को संकटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है. विघ्नहर्ता श्री गणेश जी सभी संकटों को दूर करते हैं, इसलिए इसे संकटा चौथ भी कहा जाता है.

लंबोदर संकष्टी चतुर्थी

दोनों पक्षों की चतुर्थी गणेश जी को समर्पित होती है. हर माह की चतुर्थी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं. 

माघी चौथ

माघ मास में पड़ने वाली चतुर्थी को माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है. संक​टा चौथ का संबंध माघ मास की चतुर्थी से है, इसलिए इसे माघी चौथ भी कहते हैं. चौथ के दिन भगवान गौरी गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और जीवन से सारी बाधाएं दूर करने की प्रार्थना करते हैं.

तिलकुटा चौथ

धार्मिक दृष्टि से सकट चौथ में पूजा के समय भगवान श्री गणेश जी को तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है, इस वजह से इसे तिलकुटा चौथ, तिलकुट चतुर्थी और तिल चौथ आदि नामों से भी जाना जाता है. 

जानें क्यों मनाया जाता है सकट चौथ

माता पार्वती के विलाप को देखकर भगवान शिव जी ने हाथी का सिर गणेश जी पर लगा दिया. बताया जाता है कि भगवान शिव ने भगवान गौरी गणेश को दूसरा जीवन दिया. इस दिन गणेश जी को यह आशीर्वाद मिला कि सभी देवी-देवताओं में सर्वप्रथम उनका पूजन किया जाएगा. तब से लेकर अब तक इस तिथि पर भगवान श्री गणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. माना जाता है कि, जो भी व्यक्ति इस दिन भगवान श्री गणेश का पूजन करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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