Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी के दिन पूरी होगी सभी मनोकामनाएं, मान्यतानुसार घर ले आएं ये चीजें

Putrada Ekadashi Puja: पुत्रदा एकादशी की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. यहां जानिए पुत्रदा एकादशी पर किन चीजों को घर लाना शुभ माना जाता है और किस तरह से भगवान विष्णु की पूजा संपन्न की जा सकती है.

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पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है.

Putrada Ekadashi 2024: सावन महीने की पुत्रदा एकादशी का खास महत्व है. इस बार 16 अगस्त को यह व्रत रखा जाएगा. एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.  मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और कष्ट दूर होते हैं. इस व्रत के प्रताप से संतान की प्राप्ति, बच्चों की तरक्की और जीवन खुशहाली आती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, एकादशी के दिन कुछ चीजों को घर लाना अत्यंत शुभ होता है. इससे घर का वातावरण सकारात्मक बनता है और संपन्नता आती है.

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पुत्रदा एकादशी पर घर क्या लाएं

मान्यतानुसार पुत्रदा एकादशी के दिन चांदी से बना कछुआ, कामधेनु गाय की प्रतिमा, दक्षिणावर्ती शंख, बांसुरी या मोर पंख जैसी चीजें घर में लाना बेहद शुभ माना जाता है. इससे घर के सदस्यों का कल्याण होता है. ये सभी चीजें भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को अत्यंत प्रिय होती हैं और शुभता का प्रतीक हैं. इन्हें घर में लाने से अपार खुशियां आती हैं. साथ ही, हर तरह की समस्याएं दूर हो सकती हैं. इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से भी जीवन सुखमय बनता है.

पुत्रदा एकादशी का शुभ योग कब है

हिंदू पंचांग के मुताबिक, पुत्रदा एकादशी पर अभिजित मुहूर्त शुक्रवार की सुबह 11 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. अमृत काल का समय सुबह 06 बजकर 22 मिनट से सुबह 07 बजकर 57 मिनट तक होगा. इन मुहूर्त में ही पूजा-पाठ किया जाएगा. इस व्रत का प्रभाव जीवन में काफी अच्छा पड़ता है. इससे संतान को लेकर हर मनोकामना पूरी होती है.

पुत्रदा एकादशी के दिन इस तरह करें पूजा

  • पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
  • भगवान विष्णु का ध्यान लगाकर व्रत का संकल्प लें.
  • सिंहासन पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान श्रीहरि की तस्वीर रखें.
  • भगवान को पुष्प, पीला पेड़ा अर्पण करें.
  • घी का दीपक जलाकर पूजा करें.
  • एकादशी की कथा पढ़कर और आरती गाकर पूजा का समापन होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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