Pradosh Vrat 2024: हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन मान्यतानुसार भगवान शिव का पूजन किया जाता है. कहते हैं प्रदोष का व्रत रखने पर भोलेनाथ (Lord Shiva) प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 22 मार्च सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन अगले दिन यानी 23 मार्च की सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदयातिथि और प्रदोष काल को ध्यान में रखते हुए 22 मार्च, शुक्रवार के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) भी कहते हैं. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान कुछ खास मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है. इन मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है.
प्रदोष व्रत के मंत्र | Pradosh Vrat Mantra
22 मार्च, शुक्रवार दिन शुक्र प्रदोष व्रत रखा जा रहा है. इस प्रदोष व्रत पर शाम के 6 बजकर 34 मिनट से रात 8 बजकर 55 मिनट तक प्रदोष काल है और इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जा सकती है. प्रदोष काल ही प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त होता है. पूजा की सामग्री में धूप, रोली, दीप, चंदन, अक्षत, शमी के पत्ते, मिठाई, फल, फूल, धतूरा, भस्म और बेलपत्र आदि शामिल किए जा सकते हैं. निम्न वो मंत्र दिए जा रहे हैं जिनका प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान जाप किया जा सकता है.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
शिव आरोग्य मंत्रमाम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)