जून महीने में इस दिन रखा जाएगा रवि प्रदोष व्रत, जानिए तिथि और शिव पूजा का शुभ मुहूर्त 

Ravi Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत पर पूरे मनोभाव से भगवान शिव का पूजन किया जाता है. ऐसे में यहां जानिए जून महीने में पहला प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा और किस मुहूर्त में संपन्न की जाएगी भोलनाथ की पूजा. 

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Pradosh Vrat In June: रविवार के दिन पड़ रहा है जून का पहला प्रदोष व्रत. 

Pradosh Vrat Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. माना जाता है कि पूरे मनोभाव से भगवान शिव की पूजा की जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि आती है, आरोग्य का वरदान मिलता है और खुशहाली बनी रहती है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने पर महादेव (Lord Shiva) भक्तों की सभी मनोकामनाएं सुनते हैं और उन्हें मनोवांछित फल देते हैं. प्रति माह 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. एक प्रदोष व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर. ऐसे में यहां जानिए जून महीने में पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और किस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा संपन्न की जाएगी. 

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जून 2025 का पहला प्रदोष व्रत । First Pradosh Vrat Of June 2025 

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जून की सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 9 जून की सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते 8 जून, रविवार को जून महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाना है. रविवार के दिन पड़ने के चलते इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) कहा जाता है.

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प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 

प्रदोष व्रत की पूजा मान्यतानुसार प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में पूजा करना बेहद शुभ होता है. ऐसे में प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त 8 जून की शाम 7 बजकर 18 मिनट से रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. इस समयावधि में महादेव का पूजन किया जा सकता है. 

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कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा संपन्न 

प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान किया जाता है और स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं. प्रदोष व्रत की असल पूजा रात्रि के समय संपन्न होती है लेकिन सुबह भी भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर दर्शन करने जाते हैं. पूजा करने के लिए भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. पूजा सामग्री में धतूरा, गंगाजल, भांग, सफेद फूल और दीपक समेत बेलपत्र शामिल किया जाता है. महादेव के समक्ष मिठाई और फलों का भोग लगाते हैं, प्रदोष व्रत की कथा का पाठ किया जाता है और आरती के साथ ही पूजा का समापन होता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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