Pitru Paksh 2025: ब्रह्मा की नगरी में क्यों किया जाता है श्राद्ध? जानें भगवान राम से इसका क्या है कनेक्शन? 

Pushkar Shradh: राजस्थान के पुष्कर शहर में आखिर हर साल पितृपक्ष में क्यों जुटती है श्रद्धालुओं की भीड़? ब्रह्मा की इस नगरी का प्रभु राम से क्या है कनेक्शन? क्या वाकई पुष्कर में छिपा है आत्मा की मुक्ति का द्वार? पुष्कर में श्राद्ध का धार्मिक महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Pushkar Shradh: राजस्थान के पुष्कर शहर में पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध का क्या महत्व है?
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Pushkar me kiska shradh hota hai: हिंदू धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या के बीच पितरों की पूजा का महापर्व महालय या फिर कहें पितृपक्ष मनाया जाता है. इस दौरान पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान से लेकर श्राद्ध.तर्पण आदि की परंपरा है. सनातन परंपरा में पितरों के श्राद्ध के लिए पुष्कर तीर्थ को बहुत ज्यादा पुण्यदायी माना गया है. यही कारण है कि देश के अत्यंत प्राचीन धर्मस्थली कहलाने वाली पुष्कर नगरी में बड़ी संख्या में लोग अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए पहुंचते हैं. आइए पुष्कर तीर्थ में श्राद्ध का धार्मिक और पौराणिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

पुष्कर का धार्मिक महत्व 

राजस्थान का पुष्कर शहर एक प्राचीन तीर्थस्थल के रूप में पूरे भारत में प्रसिद्ध है क्योंकि यहीं पर दुनिया का इकलौता ब्रह्मा जी का मंदिर है. सनातन परंपरा में ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता माना गया है. पुष्कर न सिर्फ आस्था और धर्म से जुड़ा पर्यटन का बड़ा केंद्र है, बल्कि यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत विशिष्ट स्थान रखता है. यही कारण है कि पूरे साल यहां पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का तांता लगा रहता है. 

पुष्कर में पितरों के श्राद्ध का महत्व

पुष्कर की धार्मिक महत्ता केवल ब्रह्मा मंदिर तक ही सीमित नहीं है. यह स्थान पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है. यहां पर व्यक्ति अपने सात कुलों और पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध कर्म कर सकता है. हिंदू मान्यता के अनुसार पुष्कर में श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. ऐसी कामना लिए हर साल पितृपक्ष में हजारों श्रद्धालु इस पावन तीर्थ स्थल पर पहुंचते हैं और अपने पितरों की मुक्ति के लिए विधि.विधान से श्राद्ध और तर्पण करते हैं.

पुष्कर का पौराणिक महत्व 

हिंदू मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्कर आए थे और उन्होंने अपने पिता महाराज दशरथ का यहां पर विधि.विधान से श्राद्ध किया था. मान्यता है कि भगवान राम के द्वारा विधि.विधान से श्राद्ध किये जाने पर प्रसन्न होकर राजा दशरथ ने उन्हें आशीर्वाद भी दिया था. तभी से पुष्कर में श्राद्ध किए जाने का और ज्यादा महत्व बढ़ गया. यह स्थान श्राद्ध कर्म के लिए वर्तमान में अत्यंत फलदायी माना जाता है.

पुष्कर सरोवर की महत्ता 

पुष्कर का 52 घाटों वाला पुष्कर सरोवर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इस पवित्र सरोवर में श्रद्धालु स्नान.ध्यान करने के बाद अपने आराध्य की पूजा.पाठ करते हैं. मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त होती है. पुष्कर का धार्मिक वातावरण, यहां की शांत वायु, मंत्रोच्चार की गूंज और पुरोहितों द्वारा करवाए जाने वाले वैदिक कर्मकांड इसे एक अद्भुत तीर्थ स्थल बनाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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