फुलेरा दूज फाल्गुन माह की द्वितीया तिथि को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है. इस बार फुलेरा दूज 04 मार्च 2022 दिन शुक्रवार यानि आज है. आज का दिन होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं कि फुलेरा दूज के दिन से ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. जिन स्थानों पर होली का पर्व मनाया जाता है, वहां फुलेरा दूज के दिन प्रतीकात्मक रूप में उपले या फिर लकड़ी रख दी जाती हैं. इस दिन कई जगहों पर होली में चढ़ाने के लिए गोबर की गुलरियां बनाई जाती हैं. आइए जानते हैं आज फुलेरा दूज का महत्व और गुलरियां से जुड़ी जानकारी.
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जानिए क्या होती हैं गुलरियां
आज फुलेरा दूज से ही गुलरियां बनाना शुरू कर दिया जाता है. गुलरियां गोबर से बनाई जाती हैं. गुलरियां बनाते समय गोबर के छोटे-छोटे गोले बनाकर उसमें उंगली से बीच में सुराख बना दिए जाते हैं. जब गोबर से बने ये छोटे-छोटे गोले सुख जाते हैं, तब इन गुलरियों की पांच से सात मालाएं बना ली जाती हैं, जिन्हें होलिका दहन के दिन होली की अग्नि में चढ़ा दिया जाता है.
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जानें फुलेरा दूज का महत्व
सनातन धर्म में फाल्गुन माह के फुलेरा दूज का विशेष महत्व है. खासतौर पर उत्तर भारत में आज फुलेरा दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा जी का फूलों से खास श्रृंगार और विधि-विधान से पूजन किया जा रहा है. आज के दिन को अबूझ मुहूर्त भी मानते हैं. फुलेरा दूज के दिन से होली के दिन तक लोग अपने घरों में शाम के समय रोजाना गुलाल और आटे से रंगोली बनाते हैं. मांगलिक कार्यों को करने के लिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है. फुलेरा दूज के दिन विवाह के लिए किसी विशेष मुहूर्त की जरूरत नहीं होती. इस दिन किसी भी मुहूर्त में विवाह किया जा सकता है.
फुलेरा दूज पर होता है खास उत्सव
ब्रज और वृंदावन में आज फुलेरा दूज के दिन एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. इस दिन मंदिरों को फूले से सजाया जाता है और होली के भजन गाए जाते हैं. भगवान श्री कृष्ण का फूलों से श्रृंगार किया जाता है. इस दिन मथुरा वृंदावन और ब्रज में फूलों की होली खेली जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)