Phalguna Purnima 2022: हर महीने में शुक्ल पक्ष के 15वें दिन को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पुर्णिमा का दिन माना जाता है. कहते हैं इस दिन चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. यूं तो पुर्णिमा हर माह आती है लेकिन इस महीने फाल्गुन पुर्णिमा है, इसलिए इसका विशेष महत्व माना जा रहा है. फाल्गुन पुर्णिमा (Phalguna Purnima 2022) के विशेष महत्व का कारण है इसका होलिका दहन (Holika Dahan) से संबंधित होना. आइए जानें इस माह फाल्गुन पुर्णिमा का होलिका दहन से किस तरह संबंध है.
फाल्गुन पुर्णिमा होलिका दहन से कैसे संबंधित है
होली से जुड़ी सबसे प्रचलित पौराणिक कथा राजा हिरण्यकश्यप, प्रहलाद और होलिका से जुड़ी है. माना जाता है कि विष्णु भक्त होने के चलते प्रहलाद को उसी के पिता हिरण्यकश्यप मारना चाहते हैं. हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका (Holika) को, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान था, प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठने के लिए कहा था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, होलिका फाल्गुन पुर्णिमा की रात को प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई लकड़ियों के बीच जाकर बैठ गई थी. इसी के चलते हर वर्ष फाल्गुन पुर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है.
फाल्गुन पुर्णिमा और होलिका दहन तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस माह फाल्गुन पुर्णिमा का 17 मार्च के दिन है. फाल्गुन पुर्णिमा 17 मार्च दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 18 मार्च दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी.
वहीं, होलिका दहन 17 मार्च को है. मान्यता के अनुसार इस दिन फाल्गुन पुर्णिमा का व्रत करने वाले लोगों को 18 मार्च के दिन ही दान आदि करना होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)