हिंदू धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यों को करने से पहले शुभ मुहूर्त जरूर देखा जाता है. समय-समय पर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल की गणना के आधार पर किसी मांगलिक कार्य को करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है. इसी को शुभ और अशुभ मुहूर्त कहा जाता है. इसी तरह शुभ मुहूर्त में कार्य करने पर उस काम में सफलता की प्राप्ति होती है. इसी क्रम में अशुभ मुहूर्त में किया गए कार्य में कई तरह की बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं. जब कभी अशुभ नक्षत्र का योग बनता है, तब इस योग को पंचक कहा जाता है. देखा जाए तो पंचक को अशुभ माना गया है. आइए जानते हैं कब लगता है पंचक और ये कितने प्रकार के होते हैं.
कब बनता है पंचक
घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती ये नक्षत्र पर जब चन्द्रमा गोचर करता है, तब उस काल को पंचक काल कहा जाता है. इसे 'भदवा' भी कहते हैं. पंचक निर्माण तभी होता है, जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर गोचर करता है.
पंचक के प्रकार
रोग पंचक
रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है, इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं. इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए. बता दें कि हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है.
राज पंचक
सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है. बता दें कि ये पंचक शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है. इन दिनों संपत्ति से जुड़े काम करना फलदायी होता है.
अग्नि पंचक
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है. मान्यता है कि इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसलों पर अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं. इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है.
बुधवार और गुरुवार का पंचक
माना जाता है कि बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक सभी तरह के कार्य कर सकते हैं. इन दिनों सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं.
चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है. कहते हैं कि इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के लेन-देन से बचना चाहिए.
मृत्यु पंचक
शनिवार से प्रारंभ होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है. इस दौरान क्रोध करने से बचना चाहिए. इसके साथ ही वाणी में मधुरता लानी चाहिए. मान्यता है कि अग्नि पंचक में मंगल से जुड़ी चीजों का प्रयोग काफी सतर्कता से करना चाहिए. माना जाता है कि इस दौरान अग्नि से बचना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)