Nirjala Ekadashi: मई के आखिरी हफ्ते में पड़ने वाली है निर्जला एकादशी, जानिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं

Nirjala Ekadashi Vrat: निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. इस एकादशी व्रत में पानी पीना तक वर्जित होता है. 

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Nirjala Ekadashi Date: मई में इस दिन पड़ रही है निर्जला एकादशी. 

Nirjala Ekadashi: सालभर में कई एकादशी पड़ती हैं. इन्हीं में से एक है निर्जला एकादशी. पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को निर्जला एकादशी इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इस एकादशी के व्रत में जल पीना भी वर्जित होता है. इस बार 31 मई के दिन निर्जला एकादशी का व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat) रखा जा रहा है. निर्जला एकादशी के दिन भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं. ऐसे में इस दिन कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है. 

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निर्जला एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं 

30 मई, मंगलवार दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से एकादशी तिथि शुरू हो रही और इसका समापन अगले दिन 31 मई, बुधवार दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा. 31 मई के दिन ही निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी. इस दौरन इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि जल की एक बूंद भी व्रत रखने वाले भक्त ग्रहण ना करें. 

निर्जला एकादशी के दिन आत्म संयम और ब्रहम्चर्य का पालन किया जाता है. वहीं, मन में गाली-गलौच जैसे विचार भी नहीं लाने चाहिए. व्रत रखने वाले व्यक्ति को अपना समय भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्यतीत करने की सलाह दी जाती है. 

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घर में निर्जला एकादशी के दिन तामसिक भोजन के सेवन और इस भोजन को पकाने से भी परहेज करना चाहिए. निर्जला एकादशी पर सात्विक भोजन घर में बनाया जाता है. अगले दिन जब निर्जला एकादशी व्रत का पारण (Paran) करते हैं तो व्रत तोड़ने के लिए भी सात्विक भोजन का ही सेवन किया जाता है. निर्जला एकादशी के व्रत में चावल खाने से परहेज करना चाहिए. इसके साथ ही बैंगन, शलगम और गाजर का सेवन भी इस दिन अच्छा नहीं माना जाता है. 

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इस दिन घर में झाड़ू लगाने से परहेज किया जाता है. माना जाता है कि निर्जला एकादशी के दिन घर में झाड़ू लगाना शुभ नहीं होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि झाड़ू-पोछे से फर्श पर रेंग रहे छोटे कीट या चीटें आदि मर सकते हैं. इससे पूरी तरह परहेज करने की सलाह दी जाती है. 

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तुलसी के पौधे को तुलसी माता कहा जाता है. माना जाता है कि एकादशी के व्रत में तुलसी (Tulsi) के पत्ते तोड़ने से परहेज करना चाहिए क्योंकि तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय कहा जाता है और इस चलते तुलसी तोड़ने पर वे रूठ सकते हैं. एकादशी से एक दिन पहले ही पूजा के लिए तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेने चाहिए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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