Narad jayanti 2023 : इस दिन दान पुण्य का कार्य करते हैं, ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं और उन्हें वस्त्र दान करते हैं.
Narad Jayanti 2023 : सभी देवों के प्रिय नारद जी की जयंती कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है, ऐसे में यह जयंती 06 मई 2023 को मनाई जाएगी. प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ मई 05 को 11:03 पी एम बजे से अगले दिन यानी 06, मई को 09:52 पी एम बजे समाप्त होगी. मान्यता है कि नारद मुनि पृथ्वी, आकाश और पाताल लोक में देवी-देवताओं और असुरों तक संदेश पहुंचाया करते थे. ऐसा भी मान्यता है कि नारद जी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार थे. ऐसे में चलिए जान लेते हैं नारद जयंती को पूजा पाठ कैसे करें और इससे जुड़े रोचक तथ्य भी.
नारद जयंती को पूजा पाठ कैसे करें
- इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले स्नान ध्यान करके साफ वस्त्र धारण करते हैं.
- इसके बाद पूजा पाठ का संकल्प लेते हैं और पूरे तन मन धन से पूजा करते हैं.
- इस दिन नारद जी को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल चढ़ाया जाता है.
- इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा पाठ करके आरती करते हैं.
- इस दिन दान पुण्य का कार्य करते हैं, ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं और उन्हें वस्त्र दान करते हैं.
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नारद मुनि से जुड़ी रोचक बातें
- सबसे पहले बता दें कि इनका नाम नारद क्यों पड़ा. शास्त्र के अनुसार 'नार' का अर्थ है जल. नारद जी ज्ञान, जल और तर्पण करने का काम करते थे, इसलिए ये नारद के नाम से जाने गए. ऐसी भी मान्यता है कि नारद जी ब्रह्मा जी के कंठ से उत्पन्न हुए थे इन्हें संगीत, व्याकरण, भूगोल, इतिहास, पुराण, ज्योतिष, योग आदि शास्त्रों में पारंगत माना जाता था.
- आपको बता दें कि नारद जी को ब्रह्मा जी ने अविवाहित रहने का श्राप दिया था. असल में एक बार नारद जी ने ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि के काम काज में शामिल होने की आज्ञा का पालन करने से मना कर दिया था, जिसके कारण उन्हें ब्रह्मा जी ने अविवाहित होने का श्राप दे दिया था.
- शास्त्रों के अनुसार नारद जी ने कठोर तपस्या के बाद देवलोक में ब्रम्हऋषि का पद प्राप्त किया हुआ था. देवऋषि को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता था. किसी लोक में कोई भी दुख पीणा होती थी तो नारद जी भगवान के पास पहुंचाने का काम करते थे. इन्हें भगवान का मन कहा जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि देवऋषि पिछले जन्म में एक दासी के पुत्र थे.
- एक और मान्यता है कि नारद जी ने वन में कठोर तपस्या करने के बाद साक्षात नारद जी के दर्शन पाए थे. उनके रूप को देखकर नारद जी आत्मविभोर हो उठे थे. श्री कृष्ण ने उन्हें दर्शन देने के बाद कहा था नारद तुम निष्पाप और पवित्र हो इसलिए मेरे दर्शन तुम्हें मिला है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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