Muharram 2022: मुहर्रम का पर्व कब मनाया जाएगा, जानें इसका महत्व और इतिहास

Muharram 2022: हिजरी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम के नाम से जाना जाता है. इस साल मुहर्रम 8 या 9 अगस्त को मनाया जाएगा.

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Muharram 2022: मुहर्रम, रमजान के बाद का दूसरा सबसे पवित्र महीना माना गया है.
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  • 8-9 अगस्त को मनाया जाएगा मुहर्रम.
  • इस्लामिक नए कैलेंडर को कहते हैं हिजरी कैलेंडर.
  • रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना होता है मुहर्रम.
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Muharram 2022 Date in India: इस्लामिक नए साल की शुरूआत हो चुकी है. इस्लामिक नए कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है. यह ग्रैगेरियन कैलेंडर से 11 दिन छोटा होता है. इसमें 365 दिन के बजाए 354 दिन ही होते हैं. हर साल इस्लामिक नए कैलेंडर के शुरुआत की तारीख बदलती रहती है. हिजरी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम के नाम से जाना जाता है. यह रमजान के बाद का दूसरा सबसे पवित्र महीना होता है. साल 2022 में मुहर्रम (Muharram) 20 अगस्त को मनाया गया था. इस साल मुहर्रम 8 या 9 अगस्त को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं जानते हैं कि साल 2022 में मुहर्रम (Muharram 2022) कब पड़ रहा है और इसका महत्व और इतिहास क्या है. 

2022 में कब है मुहर्रम का त्योहार | Muharram 2022 Date

मुहर्रम (Muharram) का त्योहार पिछले साल यानी 2021 में 20 अगस्त को मनाया गया था. इस साल मुहर्रम (Muharram 2022) का पर्व 8 या 9 अगस्त को मनाया जाएगा. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम के दसवें दिन को आशुरा कहा जाता है. इस दिन ही भारत में मुहर्रम का त्योहार मनया जाता है. बता दें कि इसी महीने इस्लामिक नया साल शुरू होता है.

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क्या है मुहर्रम का महत्व | Importance of Muharram

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, हिजरी कैलेंडर का पहला महीना होता है. जिसे मुहर्रम के रूप में जाना जाता है. इस्लामिक मान्यता है कि इस इस्लामिक साल की शुरुआत 622 AD में हुई थी. इस महीने को शोक का महीना कहा जाता है. दरअसल इस महीने में इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. इमाम हुसैन पैगंबर मुोहम्मद के पोते थे. ऐसे में उनकी शहादत को याद करते हुए मुस्लिम लोग मुहर्रम के दिन तजिया और जुलूस निकालते हैं. साथ ही इस दिन लोग मातम मनाते हुए लोग खुद को पीटते हैं और रंगारों पर चलते हैं. 

आशूरा का क्या है महत्व 

आशूरा इस्लामिक इतिहास में शोक भरे दिनों में से एक होता है. यह एक प्रकार से मातम का दिन होता है. इस दिन इमाम हुसैन की याद में भरत समेत पुरी दुनिया में शिया मुसलमान काले कपड़े पहनकर मातमी जुलूस निकालते हैं. साथ ही उनके पैगाम लोगों तक पहुंचाते हैं. कहा जाता है कि . इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए के लिए अपनी कुर्बानी दी थी. इसलिए इस दिन को आशूरा यानी मातम का दिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन उनकी कुर्बानी को याद करते हुए ताजिया निकाला जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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