Masik Shivratri in November ; भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्तों के लिए मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का बहुत महत्व है. हर माह भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना के लिए भक्त मासिक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने और विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजव अर्चना से जीवन में सुख और सौभाग्य बढ़ता है और परेशानियों और कष्टों से छुटकारा प्राप्त होता है. मासिक शिवरात्रि का व्रत सभी मनोकामनाओं को पार् करने वाला व्रत माना जाता है. वर्ष के प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की पूजा के लए मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. मार्गशीर्ष की मासिक शिवरात्रि का व्रत नवंबर माह में रखा जाएगा. आइए जानते हैं नवंबर माह में आ रहे मार्गशीर्ष की मासिक शिवरात्रि की तिथि (date of Masik Shivratri in November) और मासिक शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त व पूजा विधि…..
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मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि की तिथि और मुहूर्त (Date of Masik Shivratri in Margashirsha)
वर्ष के प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की पूजा का विशेष व्रत मासिक शिवरात्रि आता है. मार्गशीर्ष की मासिक शिवरात्रि का व्रत नवंबर माह में रखा जाएगा. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 29 नवंबर शुक्रवार को सुबह 8 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 30 नवंबर शनिवार को समाप्त होगी. मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि 29 नवंबर शुक्रवार को रखा जाएगा. अविवाहित कन्याएं जल्द विवाह के लिए और विवाहित महिलाएं सुखी विवाहित जीवन लिए यह व्रत रखती हैं. मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा 29 नवंबर की रात 11.41 से अगले दिन 30 नवंबर को प्रात: 12.35 तक की जा सकती है.
मासिक शिवरात्रि व्रत महत्व (Importance of Masik Shivratri)
मान्यता है कि हर माह मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से गृहस्थ जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है. भगवान शिव इस व्रत को करने वालों से अति प्रसन्न होते हैं और उनके सभी कामों को सफल बनाते हैं. दांपत्य जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती है. अविवाहितों को जल्द वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है और विवाह में आ रही बाधाएं देर हो जाती है. इसके साथ ही मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से आर्थिक परेशानियों से भी छुटकारा प्राप्त होता है.
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद स्व्च्छ वस्त्र धारण कर हाथ में अक्षत व पुष्प लेकी मासिक शिवरात्रि व्रत करने का संकल्प लें. इसके बाद घर के मंदिर की अच्छे से सफाई कर गंगाजल छिड़कें. चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर शिवलिंग, भगवान शिव और मां पार्वती की तस्वीर स्थापित करें. भगवान शिव व माता पार्वती के चित्रों पर गंगाजल छिड़कर उन्हें बेलपत्र, फूल, धूप-दीप और भोग चढ़ाकर विधिवत पूजा करें. भगवान शिव व माता पार्वती के सामने गाय के घी दीया जलाएं और शिव चालीसा का पाठ करें. भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें.
शिवरात्रि को करें शिव मृत्युञ्जय स्तोत्रम् का पाठ
रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युता
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवंदितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
पंचपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्
भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्
भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशिनं भवमव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनो
पंकजासनपद्मलोचनपूजितांगघ्रिसरो
देवसिद्धतरंगिणी करसिक्तशीतजटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं
नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम्।
अंधकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
यक्षराजसखं भगाक्षिहरं भुजंगविभूषणं
शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकले
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं
दक्षयज्ञविनाशिनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं निखिलाघसंघनिबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
भक्तवत्सलमर्चतां निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनूपमम्।
भूमिवारिनभोहुताशनसोमपालितस्वा
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं
संहरन्तमथ प्रपंचमशेषलोकनिवासिनम्।
क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमाव्रतं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)