Masik Shivratri 2022: मासिक शिवरात्रि प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की चतुर्दशी (Chaturdashi) को रखा जाता है. इस व्रत को रखने वाले भक्त भगवान शिव (Lord Shiv) और माता पार्वती (Maa Parvati) की पूजा करते हैं. ज्येष्ठ मास (Jyeshtha Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी मासिक शिवरात्रि 28 मई, शनिवार को पड़ रही है. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा रात्रि में की जाती है. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat) रखने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कि मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजा का विधान क्या है.
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Masik Shivratri Puja Vidhi)
मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन सूर्योदय से पहले जगा जाता है. इसके बाद नित्यकर्म के निवृत होकर स्नान किया जाता है. शिव मंदिर में जाकर या घर के पूजा स्थान पर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश और कार्तिक) की पूजा की जाती है. इसके बाद जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद और दही इत्यादि के शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाता है. इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, नारियल इत्यादि चढ़ाया जाता है. फिर भगवान शिव को धूप, दीप, फल आदि अर्पित किया जाता है. पूजन के वक्त भक्त शिव चालीसा, शिव अष्टक, शिव स्तुति और शिव श्लोक का पाठ करते हैं. पूजन समाप्ति के बाद सिर्फ फलाहार किया जाता है. इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है. अगले दिन भगवान शिव की पूजा के बाद पारण किया जाता है.
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (Masik Shivratri Vrat Katha)
पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव महाशिवरात्रि पर आधी रात को शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. जिसके बाद सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की. मान्यता है कि उस दिन से लेकर आज तक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा होती आ रही है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मां लक्ष्मी, माता सीता, मां गायत्री. माता पार्वती जैसी बहुत सी देवियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था. कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के व्रत से जीवन में सुख और शांति आती है. साथ ही भगवान शिव की कृपा से भक्तों के बिगड़े काम बनते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)