Masik Durga Ashtami: आषाढ़ महीने का शुक्ल पक्ष चल रहा है. प्रत्येक मास की अष्टमी तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durga Ashtami) मनाई जाती है. आषाढ़ महीने की मासिक दुर्गाष्टमी 7 जुलाई, गुरुवार को यानि आज है. मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durga Ashtami) के दिन मां दुर्गा की पूजा होती है. उस वक्त गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri 2022) भी चल रही है. ऐसे में गुप्त नवरात्रि में मासिक दुर्गाष्टमी का संयोग शुभ माना जा रहा है. इस दिन मां दुर्गा की विधिवत उपसना करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दर्गा को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि क्या है, इसे जानते हैं.
मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त | Masik Durga Ashtami Puja Muhurat
पंचांग के अनुसार आज मासिक दुर्गाष्टमी पर अष्टमी तिथि शाम 7 बजकर 28 मिनट तक है.
मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि | Masik Durga Ashtami Puja Vidhi
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान कर लिया जाता है. इसके बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है. घर के मंदिर या पूजा स्थान पर घी का दीपक जलाया जाता है. इसके बाद मां दुर्गा की पूजा शुरू की जाती है. पूजा के क्रम में माता को अक्षत, लाल फूल और सिंदूर अर्पित किया जाता है. प्रसाद के रूप में फल और मिठाई अर्पित किए जाते हैं. फिर धूप-दीप जलाकर दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. इसके बाद मां दुर्गा की आरती की जाती है.
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पूजा सामग्री लिस्ट | Puja Samagri List
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी
कपूर, फल-मिठाई, कलावा
मां दुर्गी की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी..
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी..
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी..
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी..
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी..
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी..
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी..
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी..
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू
ॐ जय अम्बे गौरी..
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता
ॐ जय अम्बे गौरी..
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी
ॐ जय अम्बे गौरी..
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी..
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी..
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)