Nagpanchmi 2023: 21 अगस्त को नागपंचमी( Nagpanchmi) है. हिंदू धर्म ( Faith ) की मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर की रसोई में तवा नहीं चढ़ाना चाहिए और रोटी नहीं बनानी चाहिए. सनातन धर्म में ऐसे त्योहारों (festivals), तिथियां और अवसर बताए गए हैं जब रोटी बनाना वर्जित बताया है. मान्यता है कि इन वर्जित दिनों को रोटी बनाने से मां अन्नपूर्णा और धन की देवी लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और घर में अन्न धन की कमी होने लगती है. आइए जानते हैं कब कब रोटी नहीं बनानी चाहिए.
इन मौकों पर नहीं बनानी चाहिए रोटियां (Rotis should not be made on these days)
नागपंचमी
हिंदू धर्म के निमयों के अनुसार नागपंचमी के दिन रसोई में तवा रखने और रोटी बनाना वर्जत है. रोटी बनाने वाला बर्तन तवा को राहु का रूप माना जाता है. इस दिन खाना बनाने के लिए कढ़ाई या पतीले जैसे बर्तनों के उपयोग की परंपरा है.
शरद पूर्णिमा
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं. इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन घर में कच्ची रसोई निषेध है. इस दिन खीर और पूरी बनाने का नियम है. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर खाने से अमृत पान का लाभ मिलता है.
शीतला अष्टमी
शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा होती है. माता को बासी भोजन से भोग लगाए जाने का नियम है. पूजा के बाद बासी भोजन ही प्रसाद के रूप में ग्रहण करने का नियम है. इस दिन घर में ताजी रोटियां बनाना वर्जित है.
दीपावली
शास्त्रों में दीपावली के दिन घर में रोटियां बनाने की मनाही है. धन की देवी लक्ष्मी की की पूजा के इस दिन खास तरह के पकवान बनाने का नियम है. पकवान के साथ मिठाई और खील बताशा खाए जाते है.
मृत्यु
घर में किसी की मृत्यु को हो जाने पर सूतक मानने का नियम है. 13 दिन चलने वाले सूतक के दौरान रोटियां नहीं बनाई जाती है. तेरहवीं का संस्कार हो हो जाने के बाद ही घर में रोटी बनाने का नियम है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)